हिंदू धर्म में मां गंगा के प्रति बड़ी आस्था है। आज यानि कि गुरुवार को गंगा दशहरा मनाया डजा रहा है। आज श्रद्धालुओं में काफी उत्साह है, गंगा पर स्नान करने वालों की भीड़ लगी हुई है। इसी दिन मां गंगा धरती पर आयी थी। आजकल संतान बिगड़ती जा रही है -माता पिता परेशान हैं। बच्चा पढाई से दूर भागता है –चोरी -नशाखोरी कर रहा है। बड़े लोग शराब पी लेते हैं, मांसाहारी भोजन करते हैं। अब गंगा माता ही इन सबको सुधारेंगी।
गंगा माता के धरती पर उतरने की कथा-
एक जमाने में अयोध्या के एक राजा सगर थे उनके 100 पुत्र थे। सगर अपने संतान से बहुत परेशान थे। सारे के सारे बहुत दुष्ट और शरारती थे।राजा सगर इन संतानो से इतने दुखी थे कि,अपने पोते अंशुमान को राजा बना दिया। एक बार राजा सगर ने अश्वमेध यज्ञ किया तो, इंद्र ने अश्वमेघ के घोड़े को ही कपिल मुनि के आश्रम में छिपा दिया तो, सगर के पुत्र कपिल मुनि को मारने पहुंच गए।
ज्योतिष गुरुओं के अनुसार गंगा इतनी पवित्र नदी है कि आज कि दिन इसमें स्नान मात्र करने से 10 तरह के पाप नष्ट हो जाते हैं. दस पापों को हरने के कारण ही इसे गंगा दशहरा कहा जाता है। इसमें 3 कायिक पाप होते हैं, 4 वाचिक और 3 मानसिक पाप होते हैं।
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कायिक पाप का अर्थ होता है काया यानी हमारे शरीर से जुड़े पाप। वाचिक यानी वाणी संबंधी पाप और मानसिक पाप यानी जो आप अपनी सोच और मानसिकता से करते हैं।
स्कंदपुराण के अनुसार, गंगा दशहरा पर गंगा नदी पर जाकर स्नान, ध्यान तथा दान करना चाहिए। इस दिन गंगा स्तोत्र जरूर पढ़ना चाहिए। आज के दिन स्नान के बाद दान का विशेष महत्व बताया गया है।
इस दिन छाता, सूती वस्त्र, टोपी-अंगोछा, जूते-चप्पल आदि दान में जरूर देने चाहिए। इससे जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं। आज के दिन दान करने से ग्रहदोष दूर हो जाते हैं आैर जीवन में शांति आती है। अगर आप गंगा नदी पर नहीं जा सकते, तब घर के पास किसी नदी या तालाब में गंगा मैया का ध्यान करते हुए ‘गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती। नर्मदे सिन्धु कावेरी जले अस्मिन् सन्निधिम् कुरु। का पाठ करने से लाभ होता है।