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सुप्रीम कोर्ट से राहत न मिलने पर कई पूर्व मुख्यमंत्री तलाश रहे अपने लिए नया बंगला

09 33 सुप्रीम कोर्ट से राहत न मिलने पर कई पूर्व मुख्यमंत्री तलाश रहे अपने लिए नया बंगला

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट से राहत न मिलने पर कई पूर्व मुख्यमंत्री अपने लिए नया बंगला तलाश रहे हैं। वहीं, बसपा सुप्रीमो मायावती ने अपने लिए पहले से ही इंतजाम कर लिया था। उनका नया ठिकाना 9, माल एवेन्यू होगा। यह उनके वर्तमान आवास 13, माल एवेन्यू के सामने और पार्टी कार्यालय 12, माल एवेन्यू के पीछे है। बंगले का रेनोवेशन शुरू हो चुका है। मायावती इसी हफ्ते लखनऊ आ रही हैं और वह अपना वर्तमान आवास खाली करने का ऐलान कर सकती हैं। सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्रियों से सरकारी आवास खाली करवाने का आदेश दिया है।

09 33 सुप्रीम कोर्ट से राहत न मिलने पर कई पूर्व मुख्यमंत्री तलाश रहे अपने लिए नया बंगला

बता दें कि इसके बाद राज्य के संपत्ति विभाग ने सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को 15 दिन में सरकारी आवास खाली करने का नोटिस थमा दिया। बसपा के सूत्रों का कहना है कि मायावती के वर्तमान सरकारी बंगले का भी एक बड़ा हिस्सा कांशीराम संग्रहालय के नाम से है। फिर भी कोर्ट के आदेश के बाद यदि इसे खाली करना पड़ा तो वह 9, माल एवेन्यू में शिफ्ट हो जाएंगी। इसकी तैयारी उन्होंने पहले से कर ली है। पार्टी नेताओं का कहना है कि 9, माल एवेन्यू मायावती का निजी आवास है। उन्होंने बतौर मुख्यमंत्री अपना पिछला कार्यकाल खत्म होने से पहले इसे खरीदा था। हालांकि, उनके वर्तमान आवास से यह छोटा है। अपने पिछले कार्यकाल में मायावती ने लखनऊ के कैंट में भी एक मकान खरीदा था। उसमें गृह प्रवेश भी किया था, लेकिन बाद में बेच दिया था।

वहीं मायावती जहां शिफ्ट होने जा रही हैं, वह एक समय तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष केशरीनाथ त्रिपाठी का आवास हुआ करता था। सवाल यह भी उठ रहा है कि जब वह सरकारी आवास था तो फिर कोई निजी व्यक्ति कैसे खरीद सकता है। सूत्रों के अनुसार, इसके दो ही तरीके हो सकते हैं। पुराने समय में यहां ज्यादातर निजी मकान थे। बाद में सरकारों ने लीज पर लेकर सरकारी आवास बनवाए। बाद में मकान मालिक की सहमति से लीज खत्म कर दी गई और वह निजी मकान हो गया। इसे खरीदा जा सकता है।

साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी बंगला खाली करने का आदेश सुनाया था। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में साफ किया कि कोई शख्स एक बार मुख्यमंत्री का पद छोड़ देने के बाद आम आदमी के बराबर हो जाता है। शीर्ष अदालत ने लोक प्रहरी संस्था की याचिका पर यह फैसला सुनाया। कोर्ट ने यूपी मिनिस्टर सैलरी अलाउंट ऐंड मिसलेनियस प्रॉविजन ऐक्ट के उन प्रावधानों को रद्द कर दिया, जिसमें पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी बंगले में रहने का अधिकार दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि ऐक्ट का सेक्शन 4(3) असंवैधानिक है।

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