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उत्तर प्रदेश में अगले उप चुनाव में दाव पर होगी बीजेपी की साख

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लखनऊ। अगले महीने उत्तर प्रदेश में होने वाले दो उप-चुनावों में बीजेपी को खोई साख को चुनावी मैदान में वापस पाने का और अपने राजनीतिक वर्चस्व को फिर से स्थापित करने का मौका मिलेगा। साथ ही दूसरी ओर यह समाजवादी पार्टी को फिर से अपनी ताकत साबित करने का मौका मिलेगा | सपा प्रमुख अखिलेश यादव कहते हैं कि वे अब एक ‘बबुआ’ नहीं हैं और वह उनके (बसपा) के समर्थन के बिना खुद भी लड़ सकते हैं और जीत सकते हैं |

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बता दें कि हाल में हुए राज्य सभा चुनाव समारोह समाप्त होने से पहले बसपा सुप्रीमो मायावती ने अखिलेश यादव के लिए कहा था कि वह अब भी एक राजनीतिक नौसिखिया हैं और उसे कई चीजें सीखनी है | उनका मानना यह भी था कि अखिलेश यादव, स्वतंत्र विधायक रघुराज प्रताप सिंह के बारे में ठीक से समझ नहीं पाए और उसकी वजह से बसपा के राज्यसभा उम्मीदवार को चुनाव में हारना पड़ा।

वहीं बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि होने वाले उपचुनाव में दो सीटों में से किसी एक या दोनों में सफलता कैसे होगी, उसके बारे में फिर से विचार अखिलेश यादव को करना होगा | सफलता के साथ वह अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए भी अभी से बेहतर विकल्प हासिल करेंगी | मायावती ने उप-चुनावों में पार्टी को समर्थन दिया है, लेकिन आम चुनावों के लिए गठबंधन को लेकर न नहीं कहा है | उन्होंने पार्टी के लिए सीट छोड़ने के लिए एक फार्मूला भी तैयार किया है, जिसने पिछली चुनावों में दूसरा स्थान हासिल किया था | हालांकि, औपचारिक रूप से अभी तक चर्चा की जा रही है।

उल्लेखनीय है कि दोनों सीटों पर जहां उपचुनाव होना है, वहां दोनों भाजपा ने जीती थी | उनमें से एक – कैराना – एक लोकसभा सीट है और दूसरी, बिजनौर जिले के नूरपुर, एक विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र है | ये दोनों सीटें इस कारण भाजपा पार्टी के लिए विशेष महत्व रखती हैं। यहां का उपचुनाव एसपी-बसपा और अन्य विपक्षी पार्टियों के लिए भी खास अवसर देगा।

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