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मोबाइल एप से जाने कब आएगा हार्ट अटैक

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यूं तो मोबाईल फोन अक्सर ही बिमारियों का कारण बनाता हैं लेकिन क्या आपको पता हैं कि मोबाईल फोन अब आपको हार्ट अटैक जैसी बीमारी से भी बचा सकता हैं आप सोच रहे हैं कि कैसे ? कैसे मोबाईल फोन आपको हार्ट की बीमारी से बचा सकता हैं भला ऐसा भी कही होता हैं क्या पर यें सच हैं आज हम आपको लंदन की एक रिसर्च के बारें में बताने जा रहे हैं जिससे साबित हो जाएगा कि आप हार्ट अटैक से बच सकतैं हैं।
अगर अब किसी हार्ट अटैक आता हैं तो उससे पहले ही आपको उसको चैतावनी मिल जाएगी। एक ऐसा मोबाइल एप विकसित किया है जो हृदयाघात के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार आलिंद फिब्रिलेशन की पहचान कर सकेगा. फिनलैंड में टुर्कू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जुहानी ऐराक्सिनेन ने कहा, “पहली बार सामान्य उपकरण ऐसे नतीजे पर पहुंच पाया है, जिससे वह मरीज के इलाज में सहायता प्रदान कर सके”. शोधकर्ताओं के मुताबिक, इस एप को कुछ समय तक और विकसित किया जाएगा। यहां तक आने में सात साल लग गए।

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क्यो डॉक्टर नहीं लगा पाते थें पता
हृदय गति का असमान या बहुत तेज गति से धड़कने की क्रिया को आलिंद फिब्रिलेशन कहते हैं, जिससे हृदयाघात, हृदय का काम बंद करना और हृदय संबंधित अन्य समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में हृदयाघात को रोकने के लिए समय पर इसकी पहचान होना बहुत जरूरी है। रुक-रुक कर आलिंद फिब्रिलेशन होने के कारण वर्षो से डॉक्टरों को भी इसका पता नहीं चलता था, जिस कारण यह खोज और भी महत्वपूर्ण है।

300 मरीजों पर हुई रिसर्च
शोध के दौरान 300 मरीजों को शामिल किया गया, जिनमें लगभग आधे लोग आलिंद फिब्रिलेशन से पीड़ित थे.शोधकर्ता स्मार्टफोन की सहायता से रोग की पहचान करने में कामयाब रहे. शोधकर्ताओं के अनुसार इससे लगभग 96 फीसदी तक प्रमाणित परिणाम मिले।

खुदकुशी का खतरा 5 गुना अधिक
प्रोस्टेट, मूत्राशय और गुर्दा के कैंसर के मरीजों में खुदकुशी करने का खतरा पांच गुना अधिक होता है. भारतीय मूल के एक वैज्ञानिक सहित अनुसंधानकर्ताओं के एक नए सर्वेक्षण में इस बात का दावा किया गया है. उन्होंने अपने विश्लेषण में साथ ही यह दिखाया है कि कैंसर के मरीजों के आत्महत्या करने की आशंका आम लोगों से तीन गुना अधिक होती है. कैंसर का पता चलने और उसके उपचार के दौरान गंभीर मानसिक तनाव इसके प्रमुख कारकों में से एक है. कैंसर के पांच से 25 प्रतिशत मरीज अवसाद के शिकार हो जाते हैं और कई अन्य पोस्ट- ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसॉर्डर( पीटीएसडी) से प्रभावित हो जाते हैं।

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