नई दिल्ली। देवबंद के उलेमाओं ने गाजियाबाद के एक शख्स के सवाल के जवाब में अजीबो-गरीब फतवा जारी किया है। फतवे में लाइफ इंश्योरेंस की पॉलिसी बनाना इस्लाम में हराम बताया गया है, जिसके पीछे तर्क दिया गया है कि जीना-मरना अल्लाह के हाथ में हैं, कोई इंश्योरोंस कंपनी इंसान की लंबी जिंदगी की गारंटी नहीं दे सकती इसलिए मुसलमान इससे दूर रहें। इस फतवे को लेकर अब मुस्लिम समुदाय की क्या प्रतिक्रिया होती है ये देखने वाली बात होगी। हालांकि मामले ने सोशल मीडिया पर तूल पकड़ लिया है। देवबंद के मौलानाओं का कहना है कि बीमा कंपनियां पॉलिसी खरीदने वाले लोगों के प्रीमियम के पैसे को तमाम तरह से निवेश करती है फिर ब्याज से अर्जिस पैसा ही ग्राहकों को लौटाया जाता है।
देवबंद के एक वरिष्ठ मौलाना नजीफ अहमद ने कहा कि ये फतवा इस्लामिक शरियत की रौशनी में जारी किया गया है, मुस्लिमों को बताया गया है कि वे सिर्फ अल्लाह में एतबार रखें, सिर्फ खुदा ही सबसे बड़ी सत्ता हैं, उन्हीं के हाथ में जीवन और मौत है। लिहाजा किसी इंश्योरेंस कंपनी के चक्कर में न पड़ें। बता दें कि नए साल की शुरुआत के बाद से देवबंद उलेमाओं की ओर से कई फतवा जारी हुए है। हाल में एक फतवा जारी कर डिजाइऩ बुरका को हराम करार दिया गया था। इस फतवे में कहा गया था कि घूंघट और बुर्के को छिपी हुई आंखों से महिलाओं को बचाने के लिए पहनना जरूरी है।
इस्लाम में डिजाइन बुर्का पहनने की सख्ती से मनाही है। हाल में देवबंद उलेमाओं ने मेरठ की 15 साल की आलिया खान नामक लड़की की आलोचना की थी, जिसने राज्य सरकार की ओर से आयोजित प्रतियोगिता में भगवत गीता के श्लोक का उच्चारण किया था। आलिया ने प्रतियोगिता में पुरस्कार भी जीता था। इतना ही नहीं हाल में में दारुल उलूम देवबंद ने एक विवादित फतवा में मुस्लिमों को बैंक की नौकरी करने वाले लड़के या लड़की से शादी न करने को कहा था। इसके पीछे तर्क दिया था कि बैंक में नौकरी या फिर ब्जाय से धन अर्जित करना इस्लाम की निगाह में हराम है।