नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के शौपियां में सेना पर पतथराव कर रहे पत्थरबाजों को सेना द्वारा गोली मारने के मामले ने तूल पकड़ लिया है। सेना के मेजर आदित्य कुमार के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने के लिए मेजर के पिता लेफ्टिनेंट कर्नल कर्मवीर सिंह सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं। सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि राष्ट्रीय ध्वज के सम्मान को बचाने के लिए और जान की बाजी लगाने वाले भारतीय सेना के जवानों के मनोबल की रक्षा की जाए। याचिका में कहा गया है कि जिस तरीके से राज्य में राजनीतिक नेतृत्व द्वारा एफआईआर का चित्रण किया गया और राज्य के उच्च प्रशासन प्रोजेक्ट किया गया इससे लगता है कि राज्य में विपरीत स्थिति है।

कर्नल ने मेजर आदित्य पर दर्ज एफआईआर को लेकर कहा कि उनके बेटे और इसके लिए समानता के अधिकार और जीवन जीने के अधिकार का उलंघन है। उन्होने कहा कि राज्य पुलिस ने ये जानते हुए कि उनका बेटा घटना स्थल पर मौजूद नहीं था इसके बाद भी मेरे बेटे को आरोपी बना कर मनमाने तरीके से काम किया गया है। उन्होंने याचिका में कहा कि हिंसक भीड़ की वजह से सरकारी संपत्ति को हो रहे नुकसान को देखते हुए ये कार्रवाई की गई थी। सेना का ये काफ़िला केंद्र सरकार के निर्देश पर जा रहा था और अपने कर्तव्य का पालन कर रहा था।
ये कदम तब उठाया गया जब हिंसक भीड़ ने पथराव किया और कुछ जवानों को पीट पीट कर मार डालने की कोशिश की, जिसके चलते देश विरोधी गतिविधियों के खिलाफ करवाई से रोकने की कोशिश सेना ने की। इस तरह का हमला सेना का मनोबल गिराने के लिए किया गया। याचिका में मांग की गई है आतंकी गतिविधियों और सरकारी सम्पतियों को नुकसान पहुचाने और केंद्रीय कर्मचारियों के जीवन को खतरे में डालने वाले लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की जाए और पूरे मामले की जांच दूसरे राज्य में किसी स्वतंत्र एजेंसी से कराई जाए। राज्य सरकार को आर्मी के मामले में इस तरह के फैसले लेने से रोका जाए और ऐसी स्थिति में सैनिकों को बचाने के लिए गाइड लाइन बनाई जाए।