केन्द्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने कहा कि कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व ‘सीएसआर’ उन कंपनियों के लिए देश में एक अनुकरणीय मॉडल बन गया है। जिन्हें यह आभास हो गया है कि समाज की भलाई के बिना उनकी आर्थिक कामयाबी पूरी नही है।
सुरेश प्रभु ने 2 अगस्त को दिल्ली में सीएसआर पर आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित किया।
उन्होंने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि सीएसआर एक वास्तविकता है।
साथ ही मंत्री ने कहा कि समाज में निवेश करना कंपनियों के लिए वाणिज्यिक दृष्टि से एक अच्छा कदम है।
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सुरेश प्रभु ने कहा कि भारत साल 2035 तक 10 लाख करोड़ ‘ट्रिलियन’ की अर्थव्यवस्था होगा।
और तब तक सीएसआर से जुड़ी धनराशि भी बढ़ जाएगी।
मंत्री ने कहा कि सीएसआर से जुड़ी धनराशि को सामाजिक मुद्दों में निवेश किया जाएगा।
प्रभु ने कहा कि जल की उपलब्धता एक प्रमुख समस्या का रूप धारण करती जा रही है।
मंत्री ने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि
उस समय तक विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने वाला भारत में जल की कोई समस्या नहीं होगी।
सुरेश प्रभु ने यह सुझाया कि पेयजल की उपलब्धता की समस्या दूर करने के लिए कंपनियों को नई तकनीक और प्रबंधकीय विशेषज्ञता बना लेना चाहिए।
मंत्री ने समस्त संसाधनों यथा वित्तीय, प्रबंधकीय, नीतिगत रूपरेखा
और स्थानीय संसाधनों को आकर्षित करते हुए भारत सरकार और
कॉरपोरेट घरानों से संयुक्त प्रयास करने का आह्वान किया।
जिससे जल, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्रों में गंभीर चुनौतियों का सामना किया जा सके।
मंत्री ने इस अवसर पर शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, कौशल विकास,
महिला सशक्तिकरण और आजीविका जैसी विभिन्न श्रेणियों
के तहत घोषित विजेताओं को सीएसआर पुरस्कार दिए।