वॉशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में एक दूसरे के खिलाफ खड़े रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप और डेमोक्रेटिक की उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन के बीच कई मुद्दों पर मतभेद हैं लेकिन आतंकवाद को लेकर दोनों का नजरिया लगभग एक जैसा ही है। दोनों ही नेता आतंकवाद और इस्लामिक चरमपंथ के लिए सऊदी की कट्टर विचारधारा को कारण मानते हैं।
क्लिंटन ने सऊदी के कट्टरपंथी संस्थाओं के समर्थन की आलोचना की है। उनका मानना है कि ये संस्थाएं युवा पीढ़ी को गुमराह कर रही हैं। वहीं ट्रंप का भी मानना है कि सऊदी दुनियाभर में आतंकवद को सबसे ज्यादा वित्तीय सहायता देता है। कई मुस्लिम देशों में अमेरिका के पहले राजदूत रहे फराह पंडित ने करीब 80 देशों का दौरा किया और पाया कि सऊदी सहिष्णु इस्लामिक परंपराओं को नष्ट कर रहा है।
द वॉषिंगटन पोस्ट के एक लेख के मुताबिक फरीद जकारिया का कहना है कि इस्लाम की दुनिया में सऊदी ने एक राक्षस पैदा किया है। दुनिया सऊदी को खटोक और इस्लामिक कट्टरपंथी के रूप में देखती है। वहीं न्यॉर्क टाइम्स के एक लेख में लिखा गया है कि सऊदी इस्लामिक कट्टरपंथ और आतंकवाद को बढ़ावा देने का काम बंद नहीं करेगा, तो इसके राजनयिक, सांस्कृतिक और आर्थिक दुष्परिणाम निश्चित रूप से सामने आएंगे।
वहाबी कट्टरपंथ और आतंकवाद को बढ़ावा देता है वहीं सऊदी पर आरोप है कि वह इसकी शिक्षा देता है। अब वहाबी इस्लाम एक मुद्दा बन गया है। अमेरिका समेत दुनिया के कई देशों में सऊदी की कड़ी निंदा हो रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि सऊदी अरब ने न सिर्फ ओसामा बिन लादेन जैसे खूंखार आतंकियों को पैदा किया, जिन्होंने विश्व के देशों में आत्मघाती हमलों तक को अंजाम दिया।