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कड़ी सुरक्षा का घेरा तोड़ मोहन भागवत से मिलने पहुंची महिला

mohan bhagwat कड़ी सुरक्षा का घेरा तोड़ मोहन भागवत से मिलने पहुंची महिला

ओरछा। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत बीते बुधवार को ओरछा पहुंचे। वे जैसे ही रामराजा सरकार मंदिर पहुंचे तो एक महिला संविदा कर्मचारी सुरक्षा घेरे को तोड़कर उनसे मिलने पहुंच गई। फिर क्या था पुलिस अधिकारियों के हाथ पैर फूल गए। महिला का कहना था कि हम जैसे प्रदेश के ढाई लाख संविदा कर्मचारियों को नियमित किया जाए। महिला कुछ और कह पाती, इसके पहले भागवत ने कहा मैं राजनैतिक व्यक्ति नहीं हूं। संघ का एक कार्यकर्ता हूं।

mohan bhagwat कड़ी सुरक्षा का घेरा तोड़ मोहन भागवत से मिलने पहुंची महिला

बता दें कि मोहन भागवत को जेड प्लस की सुरक्षा मिली है। जैसे ही वे सातार और ओरछा पहुंचे तो सुरक्षा जवानों ने सड़क को घेर लिया। इसके अलावा पुलिस के 300 जवानों को उनकी सुरक्षा में तैनात किया गया था। सुरक्षा व्यवस्था इतनी तगड़ी थी कि परिंदा भी पर न मार सके। करीब 9 बजे रामराजा मंदिर में दर्शन के दौरान टीकमगढ़ की संविदा कर्मचारी निधि बुंदेला अपनी मांगों के ज्ञापन को लेकर सुरक्षा घेरा तोड़ कर अंदर पहुंच गईं थी। मंदिर की प्राचीन परंपरा का पालन करते हुए भागवत ने मंदिर से करीब 100 गज की दूरी पर ही अपने जेड सुरक्षा जवानों को रोक दिया था। उसके आगे उनकी सुरक्षा का जिम्मा जिला पुलिस के हवाले था। बाद में पुलिस ने महिला को रोककर उससे पूछताछ की।

वहीं महिला का कहना है कि मैंने संघ प्रमुख के सामने अपनी बात रखी है। पूजा-अर्चना करने के बाद मऊसहानियां के लिए रवाना हो गए। संघ प्रमुख ने करीब दस मिनट तक रामराजा सरकार की पूजा-अर्चना की। इस दौरान श्रद्धालुओं के आने का क्रम बना रहा। उन्हें किसी तरह की रोकटोक नहीं रही। इसके पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जब पूजा-अर्चना करने आए थे, तब श्रद्धालुओं करीब एक घंटे तक रोके रखा गया था।

साथ ही भागवत रात करीब 12.30 बजे जीटी एक्सप्रेस से झांसी पहुंचे। रेलवे स्टेशन पर झांसी और टीकमगढ़ के सिर्फ 12 पदाधिकारियों को अंदर जाने दिया गया। पदाधिकारियों ने फूल माला से भागवत का स्वागत किया। इसके बाद उनका काफिला सातार पहुंचा। यहां उन्होंने रात्रि विश्राम किया। जिले के मऊसहानियां में बुधवार शाम आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने बुंदेलखंड केसरी महाराजा छत्रसाल की प्रतिमा का अनावरण किया। इसके बाद सभा में उन्होंने महाराजा छत्रसाल के समता-युक्त शोषण-मुक्त राज्य की सराहना करते हुए कहा कि हमें भी भाषा, जाति, उपजाति के आधार पर हुए सामाजिक विभाजन को खत्म करना है। इस भेदभाव को मिटाकर सभी समाजों को जोड़कर ही भारत राष्ट्र गुरु बनेगा और रामराज्य की कल्पना साकार होगी।

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