मुंबई। सत्ता और सियासत की जंग में सब कुछ जायज है जिसे आप इस समय मुंबई की सियासत में साफ तौर पर देख सकते है। जिस कांग्रेस पार्टी की जबरदस्त हार के बाद मुंबई प्रदेश अध्यक्ष के पद से संजय निरुपम ने इस्तीफा दे दिया था अब 31 सीट लिए वहीं कांग्रेस इस समय शिवसेना के लिए किंगमेकर की भूमिका निभाते हुए दिखाई दे रही है। लेकिन कांग्रेस पार्टी ने अपना रुख साफ करते हुए शिवसेना को कह दिया है कि वो उनसे तभी हाथ मिलाएगी जब को भाजपा से पूरी तरह से किनारा कर लेंगे।
उद्धव मिला सकते है कांग्रेस से हाथ:-
दरअसल निकाल चुनावों में नतीजों में भले ही शिवसेना एक बड़ी पार्टी के रुप में उभरी हो लेकिन उसे बहुमत हासिल नहीं हुआ जिसके चलते अगर उसे मेयर पद पर काबिज होना है तो उसे 114 का जादुई आकड़ा छूना होगा। निकाल चुनावों में शिवसेना ने 84 सीटों पर कब्जा जमाया था और अन्य की 2 सीटें मिलने के बाद उसकी संख्या अब 86 हो गई है लेकिन फिर भी उसे 28 सीटें चाहिए। वहीं अगर वो कांग्रेस से हाथ मिला लेती है तो वो आकड़े से दो सीट ज्यादा यानि सीटों की संख्या 117 हो जाएगी और फिर वो मेयर परद पर काबिज रह सकती है।
गडकरी ने दिए सुलह के संकेत:-
एक तरफ शिवसेना जहां मेयर की दावेदारी के लिए किसी भी तरह से आकड़ा छूने की कोशिश कर रही है तो वहीं शुक्रवार को केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का एक बड़ा बयान सामने आया है सुलह के संकेत देते हुए उन्होंने कहा कि नगर निगम पर नियंत्रण के लिए उनकी पार्टी और शिवसेना के पास साथ चलने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है। हालांकि इस पर अंतिम फैसला देवेंद्र फडणवीस और उद्धव ठाकरे ही लेंगे। अगर गौर फरमाएं तो नतीजे आने के बाद ही अपने मुखपत्र सामने ने शिवसेना ने साफ कर दिया था कि वो भाजपा से हाथ मिलाने के पक्ष में बिल्कुल नहीं है। फिलहाल अब देखना दिलचस्प ये होगा कि शिवसेना किस पार्टी से हाथ मिलाकर मेयर पद पर कब्जा जमाएगी।