राजस्थान में सीएम की कुर्सी का संकट भले ही टल गया हो। लेकिन राजस्थान की सियासत शांत होने का नाम नहीं ले रही है। जिसकी वजह से हर किसी की नजर सचिन पायलट और अशोक गहलोत पर आकर टिक गई है। राजस्थान में जिस तरह का सियासी संग्राम देखने को मिल रहा है। उस पर अब सवाल उठने लगे हैं, किस बात पर इतना बवाल मचा हुआ है।
राजस्थान का सियासी ड्रामा सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट के बाद राजभवन में शिफ्ट हो गया है। पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट और उनके समर्थक विधायकों की बगावत के बाद शुरू हुए विवाद को सीएम गहलोत राजभवन लेकर चले गए हैं। राजस्थान में जारी सियासी ड्रामे में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का खेमा ने विधानसभा सत्र बुलाने की मांग को लेकर राजभवन में धरना शुरू कर दिया है। सीएम हाउस में टेंट बुला लिए गए हैं। फिलहाल सारे विधायक राजभवन के मैदान में बैठे हैं। सीएम अशोक गहलोत ने स्पष्ट तौर से कहा है कि जब तक राज्यपाल महोदय पत्र नहीं सौंपते हैं तब तक धरना जारी रहेगा।
विधायक ‘हर जोर जुल्म की टक्कर में इंसाफ हमारा नारा है’, ‘इंकलाब जिंदाबाद’, ‘अशोक गहलोत संघर्ष करो हम तुम्हारे साथ हैं’, ‘अशोक गहलोत जिंदाबाद’ के नारे लगाय जा रहे हैं।आपको बता दें, हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सचिन पायलट गुट के लोगों को फौरी राहत मिल गई है, जो एक तरह से अशोक गहलोत खेमे की सांकेतिक हार मानी जा रही है। क्योंकि गहलोत खेमा इन बागी विधायकों की बर्खास्तगी हर हाल में चाहती है, जो फिलहाल पूरी होती नहीं दिख रही है। इस वजह से सीएम अशोक गहलोत विधानसभा में शक्ति प्रदर्शन करना चाहते हैं। सूत्रों का यह भी कहना है कि अशोक गहलोत का खेमा विधानसभा के जरिए पायलट गुट के विधायकों को बर्खास्त करना चाहते हैं।
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इन्ही कारणों के चलते राजभवन में अशोक गहलोत का खेमा डटा हुआ है।