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कांग्रेस बताए अगुस्ता घोटाले में किसको फायदा हुआ: पर्रिकर

Parrikar कांग्रेस बताए अगुस्ता घोटाले में किसको फायदा हुआ: पर्रिकर

नई दिल्ली । रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने संसद में कहा कि अगुस्ता वेस्टलैंड हेलिकॉप्टर खरीद मामले में भ्रष्टाचार हुआ है जिसे इतालवी कोर्ट ने भी स्वीकार किया है। बुधवार को राज्यसभा में बहस के दौरान उन्होंने कहा, ‘देश जानना चाह रहा है कि इस भ्रष्टाचार में कौन शामिल था, इसे किसका समर्थन हासिल था और इस सौदे में किसने घूस ली? सरकार यह पता लगाएगी। हम इसे यूं ही जाने नहीं दे सकते।’

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रक्षामंत्री पर्रिकर ने कहा कि मार्च 2005 के बाद से एक ही कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए सौदे की शर्तें बदली गईं। 2012 में पहली रिपोर्ट में डील पर सवाल उठे और 2014 में सरकार ने कंपनी पर कदम उठाना शुरू किया। उन्होंने कहा कि सारे तथ्य कैग रिपोर्ट पर आधारित हैं। मार्च 2003 में पीएमओ ने बदलाव किया क्योंकि सिर्फ एक ही कंपनी रेस में थी।

उन्होंने कहा कि सौदे में भ्रष्टाचार हुआ है और इससे किसका फायदा हुआ यह पता लगाया जाना चाहिए और सरकार यह करेगी। यूपीए 1 में केबिन हाइट की शर्तें बदलीं। इस समय सौदे पर 11 से केवल 6 कंपनी रह गईं। फिर शर्तों में एक बार और बदलाव हुआ और अगस्ता ही अकेली कंपनी रह गई।
रक्षा मंत्री ने कहा कि इस सौदे में नियमों की अनदेखी की गई। उन्होंने कहा, ‘इस सौदे में कांग्रेस की अगुआई वाली सरकार का पूरा जोर इस बात पर था कि एक ही वेंडर का नाम रहे। इसके लिए लिए नियमों को ताक पर रख कर काम हुआ।’ उन्होंने पूछा कि इसके लिए एक ही वेंडर का नाम क्यों तय हुआ?
उन्होंने कहा कि यूपीए के पहले कार्यकाल में केबिन हाइट की शर्तें बदली गईं। इस समय सौदे पर 11 से केवल 6 कंपनी रह गईं। इसके बाद शर्तों में एक बार और बदलाव हुआ और अगुस्ता ही अकेली कंपनी रह गई। उन्होंने कहा यूपीए सरकार के रक्षा मंत्री एके एंटनी ने भी माना था कि भ्रष्टाचार हुआ है। रक्षा मंत्री ने कहा कि सीएजी ने भी मामले में नियमों को ताक पर रखे जाने की बात कही है।

कांग्रेस के नेता आनंद शर्मा ने कहा कि रक्षा मंत्री खुद सरकार के पुराने बयानों के उलट बोल रहे हैं। कांग्रेस के सांसद गुलाम नबी आजाद समेत कांग्रेस के कई सांसदों ने इस मामले में रक्षा मंत्री द्वारा लिखा हुआ बयान पढ़ने पर सवाल उठाए, जिसके बाद पर्रिकर ने बयान की कॉपी मेज पर रख दी। राज्यसभा में अगस्ता मामले पर सबसे पहले भाजपा सांसद भूपेन्द्र यादव ने कई महत्वपूर्ण जानकारियां प्रस्तुत कीं। उन्होंने बताया कि अगस्ता वेस्टलैंड घोटाले में हेलिकॉप्टरों को अनुमानित कीमत से करीब 6 गुना अधिक कीमत चुकाकर खरीदा गया। वहीं उन्होंने यह भी कहा कि हेलिकॉप्टर की वारंटी को भी घटाकर कम किया गया। इन मुद्दों पर ही उन्होंने अपने सवाल उठाए कि आखिर कैग की तरफ से यूपीए सरकार के कार्यकाल में ही रिपोर्ट जारी किए जाने के बाद भी जांच क्यों नहीं शुरू की गई।

कांग्रेस के अभिषेक मनु सिंघवी ने अल्पकालिक चर्चा में हिस्सा लेते हुए भाजपा के भूपेन्द्र यादव के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि 1586 करोड रूपये की रिश्वत लेने का आरोप लगाया जा रहा है लेकिन कांग्रेस नीत सरकार ने गडबडी का पता चलते ही 2062 करोड रूपये की वसूली की और तीन हेलीकॉप्टरों को भी जब्त कर लिया जिनकी कीमत करीब नौ सौ करोड रूपये है। इटली के न्यायालय के फैसले का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि इसमें कहीं भी किसी भारतीय नेता का नाम नहीं लिया गया है।

भाजपा नेता एवं सांसद सुब्रह्मण्यम स्वामी ने कहा कि अगुस्ता मामले को उठाया जाना बदले की भावना से प्रेरित नहीं है बल्कि तथ्यों पर आधारित है। इटली में जिन लोगों ने सौदे के लिए घूस दी वे जेल में हैं। कंपनी को ब्लैकलिस्ट करने की प्रक्रिया इस सरकार में शुरू हुई है। यह काम यूपीए ने नहीं किया। स्वामी ने परोक्ष रुप से कांग्रेस नेतृत्व पर प्रहार करते हुये कहा कि मुझे नहीं लगता कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने एके एंटनी को नजरअंदाज किया। उन्‍होंने सवालिया लहजे में पूछा कि वह कौन सी ताकत थी जिसने तत्कालीन रक्षा मंत्री एके एंटनी को खरीदी से संबंधित शर्त बदलने को मजबूर किया।
सपा सांसद रामगोपाल यादव ने कहा कि तिल का ताड़ बनाने की आवश्यकता नहीं है। मामले को ज्यादा बढ़ाने से सैनिकों के मनोबल पर बुरा असर पड़ता है। सरकार सत्ता में मई 2014 से है, आपने क्या कार्रवाई की?

जेदयू सांसद शरद यादव ने कहा कि सरकार के पास फोर्स, सीबीआई, ईडी सब है, जांच करवा लीजिए। आरोप लगाकर समय बर्बाद मत कीजिए। साख बहुत मुश्किल से बनती है। सरकार में आने के बाद आरोप नहीं लगाने चाहिये बल्कि कार्रवाई करनी चाहिये। वहीं मामले में बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि दोनों तरफ से अगस्‍ता वेस्‍टलैंड मामले में आरोप-प्रत्‍यारोप चलते रहे हैं, लेकिन ये मामला अति गंभीर है। सीबीआई जांच कर रही है। ऐसे में हमें इसपर अब चर्चा नहीं करनी चाहिए बल्कि इस मामले की फाइनल रिपोर्ट आने पर ही चर्चा करनी चाहिए।

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