featured देश राज्य

गुजरात हाईकोर्ट ने नरोदा पाटिया मामले के दोषीयों को 10-10 साल की कठोर कारावास की सज़ा सुनाई

27 8 गुजरात हाईकोर्ट ने नरोदा पाटिया मामले के दोषीयों को 10-10 साल की कठोर कारावास की सज़ा सुनाई

नई दिल्ली। गुजरात हाईकोर्ट ने सोमवार को साल 2002 के नरोदा पाटिया मामले में दोषी ठहराये गए उमेश भरवाड, पद्मेंद्रसिंह राजपूत और राजकुमार चौमल को 10-10 साल के कठोर कारावास की सज़ा सुनाई है। निचली अदालत ने साल 2012 में इन तीनों को बरी कर दिया था। अप्रैल में अदालत ने निचली अदालत के बजरंग दल के नेता बाबू बजरंगी को दोषी ठहराने के फ़ैसले को कायम रखा था, लेकिन भाजपा नेता और पूर्व मंत्री माया कोडनानी को बरी कर दिया था। 28 फ़रवरी 2002 को अहमदाबाद के नरोदा पाटिया इलाके में हुए सांप्रदायिक दंगे में कम से कम 97 मुसलमानों को कत्ल कर दिया गया था। लेकिन इसके बाद याचिकाओं की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने इस साल 20 अप्रैल को इन तीनों को इन्हें आगज़ानी करने और हिंसक भीड़ का हिस्सा बनने का दोषी पाया जबकि बाक़ी 29 लोगों को बरी कर दिया।

 

27 8 गुजरात हाईकोर्ट ने नरोदा पाटिया मामले के दोषीयों को 10-10 साल की कठोर कारावास की सज़ा सुनाई

 

बता दें कि गुजरात के गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन के कुछ डिब्बे जलाए जाने के बाद जो दंगे भड़के उनमें नरोदा पाटिया में हुई हिंसा सबसे जघन्य दंगों में से एक है। देखिए इस मामले में कब क्या हुआ। 25 फरवरी 2002 अयोध्या से बड़ी संख्या में कारसेवक साबरमती एक्सप्रेस से अहमदाबाद जाने के लिए सवार हुए। 27 फरवरी 2002 अहमदाबाद जाने के दरम्यान गोधरा पहुंची ट्रेन के कुछ डिब्बों में भीड़ ने आग लगाई, जिसमें 59 कारसेवकों की जान चली गई। 28 फरवरी 2002 विश्व हिंदू परिषद ने गोधरा कांड के विरोध में गुजरात बंद बुलाया। इसी दौरान ग़ुस्साई भीड़ ने नरोदा पाटिया इलाक़े में हमला कर दिया। अहमदाबाद के नरोदा पाटिया में हुए दंगों में मुस्लिम समुदाय के 97 लोगों की मौत हुई थी और करीब 33 लोग घायल हुए थे। आरोप है कि इस भीड़ का नेतृत्व राज्य की बीजेपी सरकार में मंत्री रहीं माया कोडनानी ने किया था और बजरंग दल के नेता रहे बाबू बजरंगी इसमें शामिल थे। 2007 में एक स्टिंग ऑपरेशन में बाबू बजरंगी ने कथित तौर पर ये माना था कि वे दंगों में शामिल थे।

वहीं 2008 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामले की जांच पुलिस की बजाय कोर्ट की गठित की गई कमिटी यानी स्पेशल जांच टीम करे। अगस्त 2009 में नरोदा पाटिया में हुए दंगे पर मुक़दमा शुरू हुआ और 62 आरोपियों के ख़िलाफ़ आरोप दर्ज किए गए। सुनवाई के दौरान एक अभियुक्त विजय शेट्टी की मौत हो गई। सुनवाई के दौरान 327 लोगों के बयान दर्ज किए गए। इनमें पीड़ितों के अलावा डॉक्टर और पुलिस अधिकारी और सरकारी अधिकारी भी शामिल थे। 29 अगस्त 2012 को कोर्ट ने नरोदा पाटिया दंगों के मामले में बाबू बजरंगी और माया समेत 32 लोगों को दोषी ठहाराया, जबकि 29 लोगों को आरोपमुक्त कर दिया। सज़ा सुनाई गई 31 अगस्त को।

साथ ही 31 अगस्त 2012 को कोर्ट ने तत्कालीन विधायक और मोदी सरकार की पूर्व मंत्री कोडनानी को “नरोदा इलाके में दंगों की सरगना” क़रार दिया था और 28 साल क़ैद की सज़ा सुनाई थी। बाबू बजरंगी को आजीवन कारावास की सज़ा और बाक़ी दोषियों को 21 सालों की सज़ा दी गई। 20 अप्रैल 2018 को गुजरात हाई कोर्ट ने निचली अदालत के फ़ैसले को पलटते हुए इस मामले में माया कोडनानी समेत 18 लोगों को बरी कर दिया। अदालत का कहना था कि पुलिस ने कोई ऐसा गवाह पेश नहीं किया जिसने माया कोडनानी को कार से बाहर निकलकर भीड़ को उकसाते देखा हो। कोर्ट ने बाबू बजरंगी की सज़ा को भी आजीवन कारावास से कम कर 21 साल कर दिया था। बाबू बजरंगी समेत 11 लोगों को 21 साल की सज़ा सुनाई गई थी जबकि एक व्यक्ति को 10 साल की सज़ा सुनाई गई थी।

Related posts

मिनी हनीमून मना कर मुंबई वापस लौटे प्रियंका और निक जोनस

Rani Naqvi

मुंबई वालों पर मंहगाई की दोहरी मार, इन स्टेशनों के प्लेटफार्म टिकट हुए महंगे

Sachin Mishra

भारत अंडर-19 टीम ने श्रीलंका को मात देकर किया क्लीन स्वीप.

mahesh yadav