आकड़ों के हिसाब से पहले से थी जीत तय
बीजेपी का इन दिनों पूरे देश में डंका बोलने लग रहा है। इसलिए उपराष्ट्रपति के पद के लिए वेंकैया नायडू का जीतना पहले से ही तय माना जा रहा था। उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए 5 अगस्त को वोटिंग हुई इसी दिन उपराष्ट्रति के नाम का ऐलान भी ऐलान हो गया और एम वेंकैया नाडयू को उपराष्ट्रपति पद के लिए नियुक्त कर दिया गया। इस रेस में वेंकैया नायडू की जीत लगभग तय मानी जा रही थी। क्योंकि वैंकेया नायडू के पास 556 सदस्यों का समर्थन है। ऐसे में विपक्ष को एनडीए के हाथों करारी हार का सामना भी करना पड़ा है। वेंकैया नायडू ने जब नामांकल करा था उस वक्त से ही उनकी जीत को तय माना जा रहा था।
वही उपराष्ट्रपति चुनाव जीतने के लिए 393 सांसदों का समर्थन चाहिए होता है। और लोकसभा में बीजेपी के पास 336 सांसद हैं, 70 सांसद बीजेपी के पास राज्यसभा में हैं। इस तरह वोटों के गणित के अनुसार बीजेपी के पलड़ा पहले से ही भारी था। बीजेपी के पास सीधे तौर पर 406 सांसदों का समर्थन हैं। वोटों का गणित के अनुसार वेंकैया नायडू को पहले से ही उपराष्ट्रपति मान लिया गया था। उपराष्ट्रपति का चुनाव राज्यसभा और लोकसभा मिलकर करते हैं।
उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्ष के उम्मीदवार के पास काफी कम वोट थे लेकिन दूसरी तरफ एनडीए के पास वोटों की भरमार है। 406 सांसदों का बीजेपी की तरफ सीधे समर्थन मिलने के बाद अब एआईडीएमके, बीजेडी, टीआरएस जैसी दिग्गज पार्टियों के अलावा अन्य कई सारी पार्टियों ने वेंकैया नायडू को समर्थन देने का ऐलान किया था। वोटों का गणित यह बताता है कि यूपीए के पास कुल मिलाकर सिर्फ 206 सांसदों का ही समर्थन था। साफ तौर पर देखा जा सकता था कि बीजेपी यहां पर भी विपक्ष को करारी हार देने में सफल हो जाएगी और ऐसा ही हुआ।