नई दिल्ली। वट सावित्री व्रत का व्रत 15मई को मनाया जा रहा है। बता दे कि वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मनाया जाता है। इस साल ये व्रत 15 मई 2018 को पड़ रही है। कहते है कि इस दिन महिलाए मुख्य रुप से अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं। हिंदू धर्म में इस व्रत का खास महत्व है।
क्यों किया जाता है ये व्रत
इस व्रत को लेकर ऐसा कहा जाता है कि इसी दिन सावित्री ने अपने कठिन तप के बल से यमराज से अपने पति सत्यवान के प्राणों का रक्षा की थी। कथाओं के अनुसार जब यमराज सत्वान के प्राण ले जाने लगे तो सावित्री भी उनके पीछे पीछे चलने लगी। ऐसे में यमराज ने उन्हें तीन वरदान मांगने को कहा। सावित्री ने एक वरदान में सौ पुत्रों की माता बनना मांगा और जब यम ने उन्हें ये वरदान दिया तो सावित्री ने कहा कि वे पतिव्रता स्त्री है और बिना पति के मां नहीं बन सकती। यमराज को अपनी गलती का अहसास हुआ और उन्होंने चने के रूप में सत्यवान के प्राण दे दिए। सावित्री ने सत्यवान के मुंह में चना रखकर फूंक दिया, जिससे वे जीवित हो गए। तभी से इस व्रत में चने का प्रसाद चढ़ाने का नियम है। जिसकी वजह से ये व्रत रखा जाता है।
कैसे करते है ये व्रत
इस दिन जो महिलाएं व्रत रखती है वो महिला वट वृक्ष की जड़ में पानी देती है। पूजा के लिए जल, मौली,रोली, कच्चा सूत, भिगोया हुआ चना, फूल तथा धूप के साथ पूजा की जाती है। जल से वट वृक्ष को सींचकर तने के चारों ओर कच्चा धागा लपेटकर तीन बार परिक्रमा की जाती है। और इसके बाद महिलाएं सत्यवान सावित्री की कथा सुनती है।इसके बाद भीगे हुए चनों का बायना निकालकर उसपर यथाशक्ति रुपये रखकर अपनी सास को देती है।