वाराणसी। उत्तर प्रदेश के वाराणसी में शनिवार को आयोजित बाबा जयगुरुदेव के एक कार्यक्रम के दौरान भगदड़ मचने से करीब मरने वालों की संख्या बढ़कर 25 हो गई है और 50 से ज्यादा लोगों के घायल होने की खबर है। ये घटना दोपहर करीब ढ़ाई बजे राजघट के पुल के पास हुई। फिलहाल घायलों को नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। वहीं इस पूरे मामले को लेकर राजनीतिक सरगर्मी भी बढ़ गई है और विरोधियों ने सत्तारुढ़ पार्टी पर निशाना साधना शुरु कर दिया है। वहीं ऐसी खबर भी है इस इम भगदड़ के चलते 5 पुलिस अफसरों को निलंबित कर दिया गया है।
खबरों की मानें तो किसी ने अफवाह फैला दी थी पुल टूट रहा है जिसके चलते वहां भगदड़ मच गई, जिसके चलते कई लोगों की गंगा के पुल में भी गिरने की आशंका जताई जा रही है। इके साथ भी ऐसी खबरें भी सामने आ रही है कि इस कार्यक्रम के लिए 3 हजार लोगों के आने की अनुमति ली गई थी, पर कार्यक्रम में 3 लाख लोगों से ज्यादा मौजूद थे जिसके चलते जिलाधिकारी ने लापरवाही के लिए आयोजकों के खिलाफ सख्त कार्यवाही करनेके आदेश दिए हैं।
वहीं इस पूरे मामले को लेकर वाराणसी के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक आकाश कुलहरि ने कहा कि गरमी के कारण लोग परेशान थे, जिसके कारण जुलूस में भगदड़ मच गई। घटना चंदौली और वाराणसी की सीमा पर घटी है। घायलों को वाराणसी के रामनगर अस्पताल में भर्ती करा दिया गया है जहां पर उनका इलाज चल रहा है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव मृतकों के परिवार को दो-दो लाख, और घायलों को 50-50 हजार के आर्थिक सहायता की घोषणा की है।
जानिए आखिर कौन हैं जय गुरुदेव :-
जय गुरुदेव का जन्म इटावा के खितोरा में एक यादव परिवार में हुआ था। उनका असली नाम तुलसीदास था। 7 वर्ष की उम्र में उनके माता-पिता का देहांत हो गया था। इसके बाद वे गुरु श्री ओमकारनाथ की शरण में आ गए और मोक्ष की तलाश में निकल पड़े। अलीगढ़ के चिरौली में तुलसीदास की मुलाकात संत घूरेलाल से हुई, उनके साथ वे 18 घंटे साधना में लीन रहने लगे। दिसंबर 1950 में अपनी मृत्यु से पहले संत घूरेलाल ने तुलसीदास को प्रेरित किया कि वे उनके विचारों को दुनिया तक पहुंचाएं।
संत तुलसीदास ने 10 जुलाई 1952 में वाराणसी में प्रवचन दिया, इसके बाद उनके अनुयायियों की संख्या बढ़ती गई। इसके बाद वे जय गुरुदेव के नाम से प्रख्यात हुए। विदेशों में इनके 20 करोड़ से ज्यादा अनुयायी हैं, दिल्ली से करीब 150 किलोमीटर दूर आगरा-मथुरा हाईवे पर करीब 150 हेक्टेयर में जय गुरुदेव का मंदिर और आश्रम हैं, यहां प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु पाठ करने आते हैं।