यूपी || मुजफ्फरनगर जिले की खतौली विधानसभा सीट पर उपचुनाव होने जा रहे है। दरअसल विक्रम सैनी इस सीट से विधायक है। लेकिन अब उन्हें सजा सुनाए जाने के बाद इस सीट पर उपचुनाव कराने का निर्णय लिया गया है। ऐसे में इस सीट को लेकर काफी चर्चा की जा रही है। तो आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से खतौली विधानसभा सीट के इतिहास के बारे में बताने जा रहे हैं कि आखिर इस सीट पर किस बिरादरी के प्रत्याशी का दबदबा रहा था।
1967 से 2012 तक खतौली सीट पर जाट बिरादरी का कब्जा
जिले की इस सीट पर 1967 से 2012 तक हमेशा जाट बिरादरी के विधायक का कब्जा रहा है। पार्टी जरूर बदली लेकिन इस सीट पर जाट प्रत्याशी की ही जीत हुई। जानकारी के मुताबिक इस सीट पर लगातार 12 बार जाट बिरादरी का प्रत्याशी विधायक के रूप में चुना गया।
गुज्जर के आने से जाट बिरादरी गायब
खतौली विधानसभा सीट पर जाट बिरादरी के विधायकों के पर बनते पुश्तैनी हक को राष्ट्रीय लोकदल के गुज्जर बिरादरी के प्रत्याशी करतार सिंह धाकड़ ने तोड़ा था जिसके बाद से इस सीट पर दोबारा जाट बिरादरी के विधायक का नंबर ही नहीं आया।
विधायक तो दूर की बात 2012, 2017 और 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान किसी भी राजनीतिक दल ने जाट बिरादरी के व्यक्ति को मंत्री पद नहीं दिया।
पार्टी बदली लेकिन विधायक की बिरादरी नहीं
खतौली विधानसभा सीट 1967 में वजूद में आई जिसके बाद से यहां 2012 तक जाट बिरादरी के विधायक का कब्जा रहा 1995 में लोक दल की सीट पर हरेंद्र मलिक ने जीत हासिल की 1989 जनता दल के टिकट पर धर्मवीर सिंह बालियान विधायक बने।
इसके बाद 1991 में राम मंदिर लहर के दौरान भाजपा ने जाट बिरादरी के प्रत्याशी को खड़ा किया और सुधीर कुमार बालियान विधायक बने। उसके बाद 1996 और 2002 में राजपाल बालियान विधायक बने।
2007 में बसपा ने इस सीट पर एक युवा जाट नेता को प्रत्याशी बनाया और योगराज सिंह विधायक बने।