उत्तराखंड सरकार की नई खनन नीति पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। कोर्ट ने खनन नीति पर रोक लगाते हुए 28 फरवरी तक यानी चार हफ्तों में जवाब पेश करने को कहा है।
राज्य सरकार की नई खनन नीति पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक
उत्तराखंड सरकार की नई खनन नीति पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। कोर्ट ने खनन नीति पर रोक लगाते हुए राज्य सरकार, डायरेक्टर जनरल माइनिंग, डिस्ट्रिक्ट माइनिंग ऑफिसर नैनीताल व एसडीएम सदर नैनीताल से 28 फरवरी तक यानी चार हफ्तों में जवाब पेश करने को कहा है। अब इस रोक को निरस्त कराने के लिए शुक्रवार को सरकार की ओर से याचिका दायर की जाएगी।
28 अक्तूबर 2021 की खनन नीति को चुनौती
हाईकोर्ट ने गुरुवार को सरकार की 28 अक्तूबर 2021 की खनन नीति को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई की थी। जिसके बाद कोर्ट ने खनन नीति पर रोक लगाते सरकार को जवाब पेश करने को कहा है। सुनवाई कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खण्डपीठ में हुई। याचिकाकर्ता नैनीताल निवासी सतेंद्र कुमार तोमर ने याचिका में कहा है कि सरकार 28 अक्तूबर 2021 को नई खनन नीति लाई थी। इसमें सरकार ने अपने लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए समतलीकरण के नाम पर बिना टेंडर जारी किए खनन के पट्टे आवंटित कर दिए। सरकार की यह खनन नीति असंवैधानिक है।
‘भारत सरकार की अनुमति लिए बिना लिया गया निर्णय’
वहीं याचिका में कहा गया है कि समें पर्यावरण क्षति का आकलन तक नहीं किया जा रहा है। याचिका में खनन के टेंडर आनलाइन कराने की मांग भी की गई है। मिनिस्ट्री ऑफ क्लाइमेट भारत सरकार की अनुमति लिए बिना सरकार ने यह निर्णय लिया है। जबकि इसमें उसकी अनुमति लेनी आवश्यक है। इसी आधार पर तय होता है कि किस स्थान पर खनन होगा, किस स्थान पर नहीं।