उत्तराखंड

सांस्कृतिक नगरी में धूमधाम से मनाया गया दशहरा, हजारों की संख्या में उमड़ी भीड़

Screenshot 2141 सांस्कृतिक नगरी में धूमधाम से मनाया गया दशहरा, हजारों की संख्या में उमड़ी भीड़

Nirmal Almora 1 सांस्कृतिक नगरी में धूमधाम से मनाया गया दशहरा, हजारों की संख्या में उमड़ी भीड़

निर्मल उप्रेती, संवाददाता

देशभर में प्रसिद्ध सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा का दशहरा पूरे धूमधाम से मनाया गया।

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यहां रावण परिवार के दो दर्जन के लगभग विशालकाय पुतलों का जुलुस लोगों के बीच आकर्षण का केन्द्र रहा। विभिन्न मोहल्लों से स्थानीय कलाकारों द्वारा बनाए इन कलात्मक पुतलों को देखने के लिए हजारों संख्या में भारी भीड़ उमड़ी । इन पुतलों को शहरभर में घूमाने के बाद देर रात एचएचनबी ग्राउण्ड में जलाया गया।

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रावण परिवार के सदस्यों मंे रावण, अहिरावण, कुम्भकर्ण, मेघनाथ, ताड़िका, कालकेतु, सुबाहु, देवांतक, नवरांतक, मरीच, खर, दूषण, अक्षय कुमार, अतिकाय, लवणासुर, विक्रासुर, कुम्भ, कुंड, कंकासुर, बीरत, सुक्र, प्रहस्त, मकराक्ष, कालकेतु समेत रावण परिवार के इस बार 22 पुतले बनाये गए हैं। आपको बता दें कि सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा का एतिहासिक दशहरा महोत्सव उत्तराखण्ड में ही नहीं वरन पूरे देश में प्रसिद्ध हैं। यहां पर मुहल्लों मोहल्लों मंे बनाए जाने वाले रावण परिवार के दर्जनों विशालकाय कलात्मक पुतले अपने आप में आकर्षण का केन्द्र रहते हैं। इन पुतलो का निमार्ण स्थानीय कलाकारों द्वारा किया जाता है। जिसके लिए कलाकार लम्बे समय से कड़ी मेहनत करते हैं।

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इस दशहरा महोत्सव में हिन्दु मुस्लिम सहित सभी सम्प्रदायों के लोग बढ़ चढ़ कर भागीदारी करते हैं। अल्मोड़ा का दशहरा साम्प्रदायिक सौदार्ह का प्रतीक भी है। अल्मोड़ा की रामलीला का इतिहास काफी प्राचीन है। कुमाऊॅं में सबसे पहले रामलीला की शुरूआत अल्मोड़ा के बद्रेश्वर मंदिर से 1860 में हुई थी। पहले मात्र रावण का पुतला बनता था। माना जाता है कि दशहरे में 1865 में सबसे पहले रावण का पुतला बना था। तत्पश्चात धीरे धीरे पुतलों की संख्या बढ़ती गई। आज रावण परिवार के दो दर्जन से अधिक पुतले यहां बनाए जाते हैं।

Screenshot 2139 सांस्कृतिक नगरी में धूमधाम से मनाया गया दशहरा, हजारों की संख्या में उमड़ी भीड़ Screenshot 2140 सांस्कृतिक नगरी में धूमधाम से मनाया गया दशहरा, हजारों की संख्या में उमड़ी भीड़

इस अवसर पर अल्मोड़ा विधायक मनोज तिवारी ने कहा कि यह दशहरा काफी भव्य और आकर्षक होता है। इस मेले को देखने स्थानीय ही नही बल्कि बाहर से पर्यटक भी आते हैं। ऐसे में राज्य सरकार को इस दशहरे पर सरकारी अनुदान देकर इसे मेले के रूप में मनाया जाना चाहिए।

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