featured यूपी

डी. जी हेल्थ का तुगलकी फरमान, अपनी लापरवाही छुपाने को जारी किया  आदेश..

letter 1 डी. जी हेल्थ का तुगलकी फरमान, अपनी लापरवाही छुपाने को जारी किया  आदेश..

उत्तर प्रदेश में लगातार कोरोना के मरीज बढ़ते जा रहे हैं। लेकिन इस बीच सबसे ज्यादा लापरवाही मेरठ मेडिकल कॉलेज में देखने को मिल रही है।

phone 1 1 डी. जी हेल्थ का तुगलकी फरमान, अपनी लापरवाही छुपाने को जारी किया  आदेश..

लापरवाही का ये आलम है कि, लापरवाहियों के चलते ही यूपी शासन ने मेरठ मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. आरसी गुप्ता पर गाज गिरते हुए प्राचार्य के पद से हटा दिया था।

उनकी जगह कम्युनिटी मेडिसिन विभागाध्यक्ष डॉ. एसके गर्ग को को नया कार्यवाहक प्रधानाचार्य बनाया था।

जिसके बाद उम्मीद की जा रही थी कि, शायद अब यूपी के अन्य अस्पातालों के हालात सुधर जाएंगे।
लेकिन ऐसा लग नहीं रहा है। क्योंकि महानिदेशक डॉ के.के गुप्ता का फरमान जारी करते हुए कहा है कि,L2 L3 चिकित्साल्यों में भर्ती मरीजों को अब आइसोलेशन वार्ड में मोबाइल फोन ले जाने की अनुमति नही होगी।

क्योंकि फोन से कोरोना फैसने का खतरा बढ़ जाता है। डॉ. के.के गुप्ता का ये फरमान फिलहाल तो किसी के गले नहीं उतर रहा है। उनके इस फरमान लापरवाही छुपाने का एक तरीके के तौर पर देखा जा रहा है।

आपको बता दें, कुछ दिनों पहले प्रदेश भर से जारी वायरल वीडियो ने स्वस्थ महकमे की पोल खोल दी हैं।अब अपना मुह छिपाने के लिए स्वास्थ्य महकमा अपना तुगलकी फरमान जारी कर दिया हैं ,कि कोई मरीज फोन का इस्तेमाल नही करेगा।

पिछले दिनों मेरठ से मरीजो ने मोबाइल से वीडियो बना कर स्वास्थ्य विभाग की व्यवस्थाओं के बारे में दिखाया था।


मेडिकल कॉलेज में लगातार मरीजों की मौत और इलाज में लापरवाही, दवाई और खाने-पीने में दिक्कतों की शिकायतों के वीडियो वायरल हो रहे थे।

इनकी गूंज शासन तक थी। सांसद और विधायकों ने यह मुद्दे उठाए थे। विधायक सोमेंद्र तोमर मुख्यमंत्री के संज्ञान में सारा मामला लाए थे।

जिसके बाद मामले सीएम योगी तक पहुंचा था। इन्ही सभी कारणों के चलते प्राचार्य को पद से हटाया गया था। और अब ये तुगलकी फरमान कई सवाल खड़े कर रहे हैं।

आपको बता दें, यूपी में शनिवार को 200 नए मामले कोरोना पॉजिटिव के आए हैं। इस तरह अब तक पूरे प्रदेश में 5819 मरीज कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके हैं।

इसमें 3335 मरीज डिस्चार्ज हो चुके हैं। 152 कारोना संक्रमित मरीजों की दुर्भाग्यपूर्ण मृत्यु हो चुकी है।

एक्टिव केस 2332 हैं। 7 लाख 44 हजार से ज्यादा प्रवासी श्रमिकों का आशा बहुओं की टीम सर्वे कर चुकी है। इनमें 844 श्रमिकों में कोरोना वायरस के लक्षण पाए गए हैं।

ऐसे में मरीजों के फोन पर बैन लगाना वाकई में किसी तुगलकी फरमान से कम नहीं है। क्योंकि फोन के जरिए ही अस्पतालों की लापरवाही सामने आ रही थी।

लेकिन यूपी में फोन पर इस तरह से बैन करने से अब लापरवाही सामने नही आ पाएंगी।

Related posts

वन रैंक वन पेंशन को लेकर राष्ट्रपति के नाम दिया कमिश्नर को ज्ञापन

piyush shukla

विश्व तम्बाकू निषेध दिवस: तम्बाकू के दुष्परिणामों पर की गई चर्चा

Shailendra Singh

उत्तराखंड सीएम का लक्ष्य, राज्य में हर व्यक्ति की हो स्क्रिनिंग, खासकर बुजुर्गों के हो टेस्ट

Rani Naqvi