नई दिल्ली: कामख्या देवी मंदीर देवी के 51 शक्तिपीठों में से यह भी एक हैमाना जाता है कि भगवान विष्णु ने जब देवी सती के शव को चक्र से काटा तब इस स्थान पर उनकी योनी कट कर गिर गयी। इसी मान्यता के कारण इस स्थान पर देवी की योनी की पूजा होती है। प्रत्येक वर्ष तीन दिनों के लिए यह मंदिर पूरी तरह से बंद रहता है।
तीन दिनों तक माता का द्वार रहता है बंद
माना जाता है कि माँ कामाख्या इस बीच रजस्वला होती हैं और उनके शरीर से रक्त निकलता है,जिसके बाद चौथे दिन माता के मंदिर का द्वार खुलता है। इस दौरान भक्त और साधक दिव्य प्रसाद पाने के लिए बेचैन रहते हैं। यह दिव्य प्रसाद लाग रंग का होता है जिसे माता राजस्वला होने के दौरान धारण करती हैं। माना जाता है वस्त्र का टुकड़ा जिसे मिल जाता है उसके सारे कष्ट और विघ्न बाधाएं दूर हो जाती हैं। इसे ही अंबुबाची पर्व के रूप में यहां मनाया जाता है।