लखनऊ: हिंदू कैलेंडर में सोमवती अमावस्या का बहुत महत्व है। सोमवार को पड़ने के कारण इस अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहते हैं। इस बार सोमवती अमावस्या सोमवार 12 अप्रैल को पड़ रही है। वर्ष 2021 में पड़ने वाली ये पहली और आखिरी अमावस्या है।
इसके बाद पूरे साल 2021 में कोई भी सोमवती अमावस्या नहीं पड़ेगी। इस बार सोमवती अमावस्या का शुभ मुहूर्त 11 अप्रैल से सुबह 6.03 पर शुरू हो रहा है जो 12 अप्रैल की सुबह 8 बजे तक चलेगा।
पितृ पूजन का है खास महत्व
सोमवती अमावस्या का महत्व पितृ पूजन के लिए सबसे खास माना जाता है। इस दिन पितरों को दान-पुण्य करने की व्यवस्था है। इस दिन किया गया दान पितरो तक पहुंच जाता है।
सोमवती अमावस्या के दिन पीपल और तुलसी के वृक्ष की पूजा की जाती है।
तुलसी माता को अर्पित करें जल
इस दिन सुबह उठकर नित्य कर्म करने के बाद स्नान करना चाहिये और तुलती माता को जल अर्पित करने के साथ सूर्य भगवान को अर्घ्य देना चाहिये।
आप चाहें तो भगवान शिव को भी जल अर्पित कर सकते हैं। इसके अलावा पीपल के वृक्ष की पूजा का भी विधान है।
ऐसे करें पीपल के पेड़ की पूजा
पीपल के पेड़ की पूजा करने के लिए सबसे पहले हमें पीपल के पेड़ के पास तुलसी का पौधा रखना चाहिये। इसके बाद हमें पीपल के वृक्ष पर दूध, दही, रोली चंदन और चावल के साथ साथ फूल, हल्दी, काला तिल और माला चढ़ाना चाहिए।
वहीं पीपल के पेड़ के पास रखे तुलसी के पौधे पर हमें पान, हल्दी की गांठ, फूल और धान चढ़ाना चाहिए। इसके बाद हमें पीपल के पेड़ के पास 108 बार परिक्रमा करनी चाहिए। इसके बाद हमें घर पर लौटकर पितरों को तर्पण करना चाहिए।
गरीबों को करें दान
इसके साथ ही गरीबों को दान-दक्षिणा भी देनी चाहिए। गरीबों को दान देना काफी शुभ माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सोमवती अमावस्या का विशेष महत्व होता है। इस पावन दिन पितरों का तर्पण करने से उनका विशेष आर्शीवाद प्राप्त होता है और जीवन में सुख- समृद्धि की प्राप्ति होती है।
सोमवती अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने की भी परंपरा है। सोमवती अमावस्या के दिन भगवान शिव की पूजा करने से इच्छित फल की प्राप्ति होती है। इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा करने का भी विधान है। माता लक्ष्मी धन-धान्य देने वाली देवी हैं। उनकी पूजा से घर में समृद्धि आती है।
ये है हर घर के लिए पूजन विधि
इस दिन सबसे पहले सुबह उठकर आप जल्दी से स्नान कर लें। संभव हो तो किसी पवित्र नदी में स्नान कर लें। इसके बाद मंदिर में दीपक जलाएं और भगवान का ध्यान करें। संभव हो तो इस दिन आप व्रत भी रह सकते हैं।
इसके बाद आप भगवान शिव जी की पूजा करने के बाद उन्हें भोग लगाएं। इस दिन शिवजी के साथ माता पार्वती की पूजा का भी विशेष महत्व होता है। इस दिन दिनभर आप ऊं नम: शिवाय का जाप कर सकते हैं।