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पहली क्रांति की लड़ाई के प्रमुख चेहरे, जाने क्या थी भूमिका

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नाना साहेब पेशवा

नाना साहेब पेशवा बाजीराव के भाई के बेटे थे। इनका जन्म 1824 में वेणु गांव के निवासी माधव नारायण के यहां हुआ था। नाना की पिता की मौत के बाद बाजीराव ने नाना को अपने दूसरे बेटे के रूप में अपनाया। नाना साहेब भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के पहले संग्राम कहे जाते हैं। नाना का असली नाम धोंडूपंत था। नाना साहेब ने कानपुर में अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोहयों का नृतत्व किया था। नाना ने 1 जुलाई 1857 में भारत को स्वतंत्र कराने की घोषणा के साथ ही पेशवा की उपाधि का भी भार संभाला। इसके बाद अंग्रेजा सरकार ने नाना को पकड़वाने के लिए कई बड़े इनाम उनके ऊपर रख दिए। लेकिन अंग्रेजी सरकार इसमें पूरी तरह विफल रही।

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तात्या टोपे

तात्या टोपे भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के रूप में जाने जाते हैं। 1857 की क्रांति में उनकी भूमिका सबसे अहम मानी जाती है। तात्या का जन्म महाराष्ट्र में नासिक के येवला नाम के गांव में 1814 में हुआ था। अपने आठ बहन बाईयों में वो सबसे बड़े थे। तात्या ने इस्ट इंडिया कम्पनी में बंगाल आर्मी सेना के तोपखाना रेजीमेंट में काम किया था। लेकिन अंग्रेजों के दबाव में काम करना उनके लिए असहाय हो गया था। जिससे उन्होंने बहुत जल्द छुटकारा पा लिया था। जिसके बाद वो बाजीराव के यहां वापस काम पर आ गए। बाजीराव के यहां काम करने के दौरान ही उनके नाम के साथ टोपे जुड़ गया। तात्या ने भारत को आजादी दिलाने के लिए सन 1857 की क्रांति में अपना अहम योगदान दिया।

तात्या टोपे पहली क्रांति की लड़ाई के प्रमुख चेहरे, जाने क्या थी भूमिका

बेगम हजरत महल

1857 की क्रांति कई राज्यों तक फैल गई थी। जिनमें से लखनऊ में इसका नेतृत्व बेगम हजरत महल ने किया था। बेगम हजरत महल ने अपने नाबालिग बेटे को गद्दी पर बैठाकर अंग्रेजी सेना का मुकाबला किया। बोगम हजरत महल का जन्म 1820 में फैजाबाद में हुआ था। आलमबाग की लड़ाई में उन्होंने अपने सैनिको की खूब होसला अफजाई की और पूरी रीत अपने सैनिको का साथ देते हुए युद्ध किया। लखनऊ में हाल के बाद वो अवध के देहातों में चली गई और वहां भी उन्होंने क्रांति की चिंगारी सुलगाई।

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