नई दिल्ली: राफेल मामले की जांच कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट तैयार नहीं है. सर्वोच्च अदालत ने शुक्रवार को राफेल सौदे की जांच की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया. कोर्ट ने कहा कि राफेल सौदे में निर्णय लेने की प्रक्रिया पर शक करने की कोई वजह नहीं है.
14 नवंबर को सुनवाई पूरी हुई थी सुनवाई
कोर्ट ने यह भी कहा कि राफेल लड़ाकू विमानों की कीमत पर फैसला लेना अदालत का काम नहीं है. सीजेआई रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति केएम जोसेफ की पीठ ने इस मामले में दायर याचिकाओं पर 14 नवंबर को सुनवाई पूरी की थी.
संदेह करने की कोई ज़रूरत नहीं है
सुनवाई के दौरान सीजेआई रंजन गोगोई ने कहा, ‘इस प्रक्रिया पर संदेह करने की कोई ज़रूरत नहीं है. हम सरकार को 126 विमान खरीदने पर बाध्य नहीं कर सकते. साथ ही इस मामले के सभी पहलुओं की जांच कोर्ट की देखरेख में कराना सही नहीं होगा.’
वहीं गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कोर्ट के फैसले पर कहा, ‘शुरुआत से यह बिल्कुल साफ मामला था. हम लगातार कह रहे थे कि कांग्रेस द्वारा लगाए जा रहे आरोप निराधार हैं. बता दें कि इस सौदे में कथित अनियमितताओं का आरोप लगाते हुये सबसे पहले वकील मनोहर लाल शर्मा ने जनहित याचिका दायर की थी.
इसके बाद, एक और वकील विनीत ढांडा ने याचिका दायर कर सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में इस सौदे की जांच कराने का अनुरोध किया था. इस सौदे को लेकर आप पार्टी के सांसद संजय सिंह ने भी याचाकि दायर की थी. इसके बाद बीजेपी के दो पूर्व मंत्री यशवंत सिन्हा और अरूण शौरी के साथ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने एक अलग याचिका दायर की थी.