featured देश

केरलः सबरीमाला मंदिर मामले में पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने ‘तुरंत सुनवाई’ से किया मना

SC केरलः सबरीमाला मंदिर मामले में पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने 'तुरंत सुनवाई' से किया मना

केरलः सबरीमाला मंदिर में महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देने वाले फैसले के खिलाफ ‘नेशनल अयप्‍पा डिवोटी एसोसिएशन’ ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका डाली दी थी। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने ‘तुरंत सुनवाई’ से मना कर दिया है। बता दें कि 800 साल से चली आ रही प्रथा पर महज कुछ दिनों पहले देश के शीर्ष न्यायालय ने अपना अहम फैसला सुनाते हुए औरतों को सबरीमाला मंदिर में जाने की इजाजत दी है। कोर्ट के अनुसार सबरीमाला मंदिर में महिलाएं भी भगवान अयप्‍पा के दर्शन कर सकती हैं। मंदिर में महिलाओं के वर्जित वाली प्रथा को सुप्रीम अदालत की एक पीठ ने गैर कानूनी घोषित किया।

केरलः सबरीमाला मंदिर मामले में पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने 'तुरंत सुनवाई' से किया मना
केरलः सबरीमाला मंदिर मामले में पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने ‘तुरंत सुनवाई’ से किया मना

इसे भी पढ़ेःकेरल के मशहूर सबरीमाला मंदिर में भगदड़, 31 श्रद्धालु घायल

गौरतलब है कि सबरीमाला मंदिर में हर साल नवम्बर से जनवरी तक श्रद्धालु, अयप्पा भगवान के दर्शन करने आते हैं। इसके अलावा पूरे वर्ष मंदिर आम भक्तों के लिए बंद रहता है।मान्यता है कि भगवान अयप्पा के भक्तों के लिए मकर संक्रांति का दिन बहुत महत्वपूर्ण होता है। इसीलिए उस दिन सबसे ज़्यादा भक्त मंदिर पहुंचते हैं। मालूम हो कि उक्त मंदिर केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम से 175 किलोमीटर दूर पहाड़ियों पर बना है।

मंदिर के चारों तरफ से पहाड़ियां हैं। आने वाले श्रद्धालु सिर पर पोटली रखकर जाते हैं। पोटली में भगवान को चढ़ाई जानी वाली चीज़ें होती है। जिन्हें प्रसाद की तरह पुजारी घर ले जाने को देते हैं। मान्यता है कि तुलसी या रुद्राक्ष की माला पहनकर, व्रत रखकर और सिर पर नैवेद्य (पूजा सामग्री) रखकर जो भी व्यक्ति आता है उसकी सभी कामनाएं पूर्ण होती हैं।

खास बता है कि केरल के सबरीमाला मंदिर में 10 साल से 50 वर्ष की महिलाओं को प्रवेश नहीं था। भगवान के दर्शन सिर्फ छोटी बच्चियां और बूढ़ी महिलाएं ही कर सकती थीं। महिलाओं के मंदिर में प्रवेश नहीं होने के पीछे एक मान्यता है कि भगवान अयप्पा ब्रह्मचारी थे। इसलिए किशोर और युवतियों को मंदिर में प्रवेश वर्जित था। हाल ही में एक याचिका की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर की इस मान्यता को अवैध बताया। साथ ही एससी ने सभी उम्र की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की अनुमति दी है।

महेश कुमार यादव

Related posts

कानपुर: रिक्शा चालकों को लूटने वाले गैंग का पर्दाफाश, ऐसे बनाते थे शिकार

Shailendra Singh

नेपाल:मानसरोवर से लौट रहे 180 भारतीय तीर्थयात्री खराब मौसम के कारण हुमला जिले में फंसे

rituraj

पहाड़ों में भारी बारिश: पानी में डूबा हरिद्वार, अलर्ट जारी

bharatkhabar