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दुनिया के सबसे शक्तिशाली जगन्नाथ मंदिर में घट रहीं अजीब घटनाएं, क्या प्रलय की तरफ कर रहीं इशारा?

jagnath yatra 2 दुनिया के सबसे शक्तिशाली जगन्नाथ मंदिर में घट रहीं अजीब घटनाएं, क्या प्रलय की तरफ कर रहीं इशारा?

भगवान विष्णु को सृष्टि रचियता कहा जाता है। उड़ीसा के पुरी में भगवान विष्णु का भव्य मंदिर जगन्नाथ मंदिर दुनियाभर में प्रसिद्ध है। जगन्नाथ मंदिंर भगवान विष्णु के आठवे अवतार भगवान कृष्ण को समर्पित है। गन्नाथ पुरी के इस स्थान को शाकक्षेत्र, नीलांचल और नीलगिरि भी कहते हैं। भारत के चार धामों (बद्रीनाथ धाम,जगन्नाथ धाम, द्वारिका धाम व रामेश्वर) में जगन्नाथ पुरी भी एक है। बद्रीनाथ धाम को जहां जगत के पालनहार भगवान विष्णु का आंठवां बैकुंठ माना जाता है, वहीं जगन्नाथ धाम को भी धरती के बैकुंठ स्वरूप माना गया है।

jagnath 2 दुनिया के सबसे शक्तिशाली जगन्नाथ मंदिर में घट रहीं अजीब घटनाएं, क्या प्रलय की तरफ कर रहीं इशारा?

जगत के नाथ यहां अपने बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ विराजते हैं। तीनों ही देव प्रतिमाएं काष्ठ की बनी हुई हैं। इन मूर्तियों को हर बारह वर्ष बाद बदले जाने का विधान है, पवित्र वृक्ष की लकड़ियों से पुनः मूर्तियों की प्रतिकृति बना कर फिर से उन्हें एक बड़े आयोजन के साथ प्रतिष्ठित किया जाता है।पुराणों में जगन्नाथ पुरी को धरती का बैकुंठ कहा गया है. ब्रह्म और स्कंद पुराण के अनुसार, पुरी में भगवान विष्णु ने पुरुषोत्तम नीलमाधव के रूप में अवतार लिया था। वह यहां सबर जनजाति के परम पूज्य देवता बन गए।

सबर जनजाति के देवता होने की वजह से यहां भगवान जगन्नाथ का रूप कबीलाई देवताओं की तरह है। जगन्नाथ मंदिर की महीमा देश में ही नहीं विश्व में भी प्रसिद्ध हैं।भगवान जगन्नाथ के मंदिर में कई सारे ऐसे रहस्य भी छिपे हुए हैं। जिनके सामने वैज्ञानिक भी फेल हैं।

जगन्नाथ मंदिर के शिखर पर स्थित झंडा हमेशा हवा की विपरीत दिशा में लहराता है। इसी तरह मंदिर के शिखर पर एक सुदर्शन चक्र भी है. इस चक्र को किसी भी दिशा से खड़े होकर देखने पर ऐसा लगता है कि चक्र का मुंह आपकी तरफ है।
मंदिर की रसोई में प्रसाद पकाने के लिए 7 बर्तन एक-दूसरे के ऊपर रखे जाते हैं। यह प्रसाद मिट्टी के बर्तनों में लकड़ी पर ही पकाया जाता है। इस दौरान सबसे ऊपर रखे बर्तन का पकवान पहले पकता है फिर नीचे की तरफ से एक के बाद एक प्रसाद पकता जाता है।

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जगन्नाथ मंदिर की यह बात आपको चौंका देगी कि इसके ऊपर से कोई पक्षी नहीं गुजरता। यहां तक कि हवाई जहाज भी मंदिर के ऊपर से नहीं निकलता। दिन के किसी भी समय जगन्नाथ मंदिर के मुख्य शिखर की परछाई नहीं बनती।
इतनी ही नहीं एक पुजारी मंदिर के 45 मंजिला शिखर पर स्थित झंडे को रोज बदलता है. ऐसी मान्यता है कि अगर एक दिन भी झंडा नहीं बदला गया तो मंदिर 18 वर्षों के लिए बंद हो जाएगा।

इस मंदिरे के बारे में कहा जाता है किय ये हजारों सालों से हिन्दू धर्मे के लोगों की आस्था बना हुआ है।लेकिन इस साल जगन्नाथ मंदिर में कुछ विचित्र घटनाएं घटित हो रही हैं। जिसकी वजह से भक्तों को लग रहा है कि, कहीं ये किसी अनहोनी की तरफ तो कोई इशारा नहीं है। इन घटनाओं के बारे में आप भी सुनकर चौंक जाएंगे।

19 मार्च को अचानक से मंदिर के ऊपर लगे सुदर्शन चक्र जिसे मंदिर में नील चक्र के नाम पुकारा जाता है। इसके ऊपर एक झंडा लगा है। इस दिन इस झंडे पर आग लग गई थी। जिसकी वजह से झंडा आग में जलकर नीचे गिर गया था। इस घटना के बाद पूरे देश में कोरोना के चलते लॉकडाउन लगा दिया गया था। तभी से देश में कई सारी अजीब घटनाएं भी घट रही हैं।

ऐसा ही एक और हादसा 18 मई को भी हुआ था। इस दिन अचानक से 45 मंजिल पर लगा झंडा धरती पर गिर गया था। जिसको लेकर भक्तजन काफी परेशान हो गये थे। क्योंकि आज से पहले कितनी भी आंधी बारिश तूफान क्यों न आया हो। लेकिन ये झंडा कभी नहीं गिरा। अचानक से गिरे इस झंडे ने लोगों के मन में काफी आशंकाएं पैदा कर दी है।
लोग इन दो घटनाओं को भूले ही थे कि, 15 जून को अचानक से आये आंधी तूफान महाप्रभु श्री जगन्नाथ के मंदिर का नीलचक्र पर बिजली गिर गई थी। जिसकी वजह से नील चक्र पर लगा बांस और झंडा नीचे गिर गया था। और 15 जून की रात ही लद्दाख की गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच खूनी संघर्ष हुआ जिसमें भारत के 20 जवान शहीद हुए।

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आज से पहले भगवान जगन्नाथ के इतिहास में ऐसी घटनाएं नहीं घटि हैं। जिसकी वजह से लोगों के मन में काफी डर है। और वो भगवान जगन्नाथ से कोई अनहोनी न होने की दुआ कर रहे हैं।

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