नई दिल्ली: केंद्र की मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा एससी-एसटी अधिनियम में किए गए बदलावों को बदल दिया है। जिसका मध्यप्रदेश में पुरजोर तरीके से विरोध हो रहा है। राज्य में साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं जिसे देखते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गुरुवार को एक बड़ा ऐलान किया है। उनका कहना है कि राज्य में जांच के बाद ही एससी-एसटी अधिनियम के तहत गिरफ्तारी होगी।
सभी वर्गों में हितों को सुरक्षित रखा जाएगा
बालाघाट में पत्रकारों से बातचीत करते हुए शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि राज्य में सभी वर्गों में हितों को सुरक्षित रखा जाएगा। इसी वजह से एससी-एसटी एक्ट में जांच के बाद ही गिरफ्तारी होगी। जब मुख्यमंत्री से पूछा गया कि क्या राज्य सरकार केंद्र सरकार के अध्यादेश के एवज में कोई अध्यादेश लेकर आएगी तो उन्होंने कहा कि मुझे जो कहना था वो मैंने कह दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया फैसला
जो भी शिकायतें आएंगी पहले उसकी जांच होगी और फिर गिरफ्तारी होगी। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने एससी-एसटी एक्ट को लेकर फैसला सुनाते हुए कहा था कि जांच के बाद ही मामला दर्ज किया जाए। लेकिन केंद्र ने अध्यादेश लाकर कोर्ट के आदेश को बदल दिया है। केंद्र सरकार के अध्यादेश के अनुसार एससी-एसटी समाज के शख्स द्वारा शिकायत किए जाने पर बिना जांच के मामला किया जाएगा और 6 महीने के लिए आरोपी को जेल भेजा जाएगा। मोदी सरकार के इस फैसले के खिलाफ राज्य में लगातार विरोध प्रदर्शन जारी है।
चौहान ने कांग्रेस द्वारा किए जा रहे अलोकतांत्रिक आचरण की निंदा करते हुए कहा कि राजनीति में शालिनता से बात करने की परंपरा रही है विपक्ष को मैदान में मुकाबला करने का अधिकार है, लेकिन पिछले दिनों कांग्रेस नेताओं द्वारा कुछ ऐसे शब्दों का उपयोग किया जा रहा है जो कि निंदनीय है। कभी मुझे वैश्या तो कभी जनरल डायर और कभी नालायक तक कांग्रेस कहा गया।