featured यूपी

लापता लोगों का सहारा बना सोशल मीडिया, अपनों से ऐसे मिलवाया   

लापता लोगों का सहारा बना सोशल मीडिया, अपनों से ऐसे मिलवाया   

लखनऊ: टेक्नोलॉजी के दौर में सोशल मीडिया ने गुमशुदा लोगों की तलाश में पुलिस की कार्यशैली को पीछे छोड़ दिया है। अब पुलिस को भी अपराध नियंत्रण करने के लिए सोशल नेटवर्किंग का सहारा लेना पड़ा रहा है।

पुलिस अक्‍सर छोटे-छोटे मसलों में फरियादियों को थाने से टरका देती है। मसलन गुमशुदी, मोबाइल चोरी और छोटे वाहनों का गुम हो जाना। पुलिस क्राइम कंट्रोल के चलते बच्चों की गुमशुदगी को भी इतनी प्राथमिकता नहीं दे पाती है। देशव्यापी लॉकडाउन से अब तक सिटी चाइल्ड लाइन ने फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सएप की मदद से 30 प्रतिशत बिछुड़े बच्चों को परिजनों से मिलवाया है। राजधानी के कई थानों में लापता लोगों के कुछ मामले लंबित हैं, जो आज भी उम्मीदों में जिंदा हैं।

पहली घटना: फेसबुक ने अपनों से मिलवाया

अप्रैल महीने में विकासनगर पुलिस को एक नाबालिग फुटपाथ पर भटकता मिला था। जिसके बाद चाइल्ड लाइन टीम ने उसे अपनी कस्टडी में रख लिया था। बेटे की तलाश में उसके पिता ने उसकी फोटो फेसबुक पर अपलोड कर दी। यूजर्स ने भी लापता की फोटो कहीं हद तक शेयर कर दी थी। फेसबुक की मदद से नाबालिग की फोटो चाइल्ड लाइन तक पहुंची। इसके बाद टीम ने उसके पिता से संपर्क कर बच्चे को सुपुर्द कर दिया था।

दूसरी घटना: व्हाट्सएप ने बिछड़े बच्चे को मिलवाया

11 मई को मड़ियांव पुलिस ने एक मानसिक बच्चे को सिटी चाइल्ड लाइन  हवाले किया था। बेटे की तलाश पिता ने उसकी फोटो व्हाट्सअप ग्रुप पर वायरल कर दी थी। जैसी ही चाइल्ड लाइन टीम को मानसिक बच्चे की फोटो मिली तो टीम ने उसके पिता से संपर्क कर बच्चे को उसके सुपुर्द कर दिया था।

तीसरी घटना: गूगल ने ट्रेस किया पता

21 मई को बिहार राज्य के मुज्जफरनगर के एक नाबालिग को बाजारखाला पुलिस ने पकड़ा था। इसके बाद पुलिस ने उसे सिटी चाइल्ड लाइन के हवाले कर दिया था। नाबालिग मालगाड़ी में बैठकर लखनऊ आ गया था। कुछ दिनों बाद सोशल मीडिया पर नाबालिग गुमशुदगी मिली तो चाइल्ड लाइन टीम ने गूगल की मदद से उसका पता ट्रेस किया। फिर परिजनों को बुलाकर उसकी कांउसलिंग कराई गई। इसके बाद सीडब्ल्यूसी के आदेश पर घर वालों को नाबालिग की सुपुदर्गी दी गई।

लोगों में फैल रही जागरुकता

एक्सपर्ट के मुताबिक, सोशल मीडिया का इस्तेमाल लाखों-करोड़ों यूजर्स करते हैं, जो एक-दूसरे की पोस्ट को शेयर भी करते हैं। इसी बीच सोशल मीडिया के इन प्लेटफार्म पर गुमशुदगी शेयर करने का प्रचलन काफी बढ़ चुका है। पुलिस की कार्यशैली को देखते हुए लोगों ने अपने जहन में खाकी के प्रति अविश्वास पैदा हो चुका है। जबकि गुमशुदगी, रक्तदान, जरूरतमंदों को मदद मुहैया करने के लिए लोगों में जागरुकता आती है। यही वजह है कि अपनों की तलाश में लोग सोशल मीडिया के सभी प्लेटफार्म का सहारा लेते हैं, जो कहीं हद तक मददगार भी साबित हुए हैं।

इस मामले में बाल कल्याण समिति की सदस्य डॉ. संगीता शर्मा ने बताया कि, बच्चों की तलाश में सोशल मीडिया मददगार साबित हो रहा है। देशव्यापी लॉकडाउन से अब तक चाइल्डलाइन ने कई बच्चों को सोशल मीडिया की मदद से सुरक्षित अपने घर पहुंचाया है। ऐसे में लोगों को जागरूक होना चाहिए।

Related posts

पूर्व सदस्य संसद डॉ. कर्ण सिंह ने की नेपाल पीएम के बयान की निंदा

Rani Naqvi

योगी सरकार का एक साल पूरा, सीएम बोले विकास अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाया

lucknow bureua

लॉटरी प्रक्रिया द्वारा चयनित लाभार्थियों को अवंटित किए जायेंगे आसरा आवास -जिलाधिकारी

Rahul