भोपाल : शिवराज सरकार शिक्षा के स्तर को सुधारने की लाख कोशिशें कर रही है। लेकिन उसके स्तर में कोई सुधार होता नजर नहीं आ रहा है। मध्य प्रदेश का एक भी जिला एक्सीलेंस नहीं है। जिसे ‘ए’ ग्रेड दिया जा सके। भले ही राज्य सरकार अपने बयानों में शिक्षा को बेहतर बताने के लिए लाख बार कहे लेकिन हकीकत तो कुछ और ही है। सुविधाओं के अभाव में बच्चे पढ़ाई करने को मजबूर है।
मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं स्कूल
शिक्षा के इंतजाम के लिए भले ही करोड़ों रुपयों का बजट पास किया गया हो। लेकिन स्कूल अपनी मूलभूत सुविधाओं से ही कोसो दूर हैं। जाहिर सी बात विपक्ष इस पर मौजूदा सरकार को घेरने की पूरी तरह कोशिश करेगा। वहीं यह शिवराज के दावों की दूसरी तरफ पोल भी खोलती हुई नजर आ रही है।
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जिला शिक्षा अधिकारी है इसका चयन
वहीं प्रदेश भर के स्कूलों की व्यवस्था को देखते हुए जिला शिक्षा अधिकारी इसका चयन करते हैं। इसके लिए बाकायदा प्रशिक्षण भी दिया जाता है। आने वाले दो से तीन महीनों में अपने जिलों के ग्रेड सुधारने के लिए निर्देश भी दिए गए हैं। कम सुविधा के बाद भी सागर, देवास, नीमच, मंदसौर के जिलों में ग्रेड कम आने के बाद भी रिजल्ट अच्छा रहा। जिला शिक्षा अधिकारियों को इन जिलों का उदारण देकर शिक्षा को बेहतर बनाने टिप्स भी दिए गए।