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DER Technology: क्या है स्मार्टफोन की नई टेक्नोलॉजी DRE? जानिए कैसे करती है काम

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DER टेक्नोलॉजी || आज के दौर में स्मार्टफोन हमें हर एक सुविधा प्रदान कर रहा है। यही कारण है कि यूजर स्मार्टफोन में अपना अत्यधिक समय व्यतीत कर रहा है। पेमेंट, मनोरंजन शॉपिंग लेकिन आपकी हर एक प्रोडक्टिव वर्क को पूरा करने में स्मार्टफोन आपकी सहायता कर रहा है। जिनके लिए आप अपने फोन में विभिन्न एप्स का प्रयोग कर रहे हैं। जिसने आपकी जिंदगी को पहले से आसान बना दिया। लेकिन कभी कबार फोन में स्पेस की समस्या खड़ी हो जाती है। स्मार्टफोन में सीमित स्पेस और मेमोरी कार्ड की वजह से आप अक्सर मल्टीटास्किंग समस्याओं का सामना करना पड़ता है ऐसे में आपको अपने फोन में रैम की कमी महसूस होती हैं। हालांकि आधुनिक तकनीक नहीं इस समस्या का तोड़ ढूंढ लिया है। इस समाधान का नाम है Dynamic RAM Expansion यानी DER टेक्नोलॉजी।

DER टेक्नोलॉजी क्या है

Dynamic RAM Expansion यानी DER टेक्नोलॉजी के बारे में आप पिछले कुछ महीने की सुन रहे होंगे। जिसे आप और हम वर्चुअल राम एक्सपेंशन के नाम से भी जानते हैं। वर्चुअल रैम दरअसल स्मार्टफोन के इंटरनल स्टोरेज को अस्थायी रूप से इस्तेमाल करती है। जिसका मुख्य कार्य मेमोरी मैनेजमेंट को बेहतर बनाए रखना है। यह तकनीक फिजिकल रैम  की तुलना में मेमोरी में अधिक एप्स रखने की सुविधा प्रदान करता है।

DER टेक्नोलॉजी की क्या है जरूरत

स्मार्टफोन में कई ऐसे एप्स होते हैं जिनका साइज काफी बड़ा होता है। ऐसे में धीरे धीरे DER टेक्नोलॉजी की जरूरत बढ़ती जा रही है। आमतौर पर स्मार्ट फोन में रैम कई सारे काम करती हैं। जैसी डाटा स्टोर करती है मल्टीटास्किंग में मदद करती है और फोन को सही स्पीड प्रदान करती हैं। लेकिन हम सब के पास जो स्मार्टफोन एवं एंड्राइड फोन मौजूद है उनमें एक सीमित मात्रा में रैम उपलब्ध होता है। ऐसे में अपने फोन को मल्टीटास्किंग करने के लिए फिजिकल रैम की आवश्यकता पड़ती है। जिससे इस स्मार्टफोन की क्षमता में विस्तार होता है मल्टीटास्किंग में सुविधा उपलब्ध होती है।

कैसे काम करती है DER टेक्नोलॉजी 

जब भी आप किसी नए एप्प पर क्लिक करते हैं तो MMU यानी मेमोरी मैनेजमेंट यूनिट यह तय करती है कि यह app रैम में कहां जगह लेगा। अच्छा एक बार फिर से अपने आप खोलते हैं तो मेमोरी मैनेजमेंट यूनिट नए ऐप के साथ पुरानी ऐप के लिए भी जगह बनाती है। जब आप अलग-अलग आप खोलते हैं। तो वो रैम में जाकर इकट्ठा हो जाती हैं। और जब रैम का स्पेस फुल हो जाता है। तब और आप नया ऐप खोलना चाहते हैं तब आपके पुराने ऐप खुद ब खुद गायब होने लगते हैं। इसका मतलब यह है कि जब आप पहले खुले ऐप को दोबारा खोलना चाहेंगे तो आपको फिर से उस ऐप आपको शुरुआत से खोलना पड़ेगा। लेकिन जिन स्मार्टफोंस में वर्चुअल रैम की टेक्नोलॉजी उपलब्ध है। उनमें रैम में स्पेस ना होने पर भी नया आप खोलते समय पुराना ऐप हटने की बजाय वर्चुअल मेमोरी में शिफ्ट हो जाएगा। 

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