नई दिल्ली। भारत के ज्यादातर लोग पैसा कमाने के चक्कर में विदेश चले जाते हैं। जहां काम करके खूब पैसे कमाते हैं। जो भारतीय सऊदी अरब में में काम करते हैं उन्हें अब वहां की सरकार की तरफ से बहुत सुविधा मिलने वाली हैं । सऊदी अरब में में लगभग 26 लाख भारतीय काम करते हैं। सऊदी अरब के मानव संसाधन और सामाजिक विकास मंत्रालय ने बुधवार को विदेशी कामगारों को लेकर श्रम कानून में अहम सुधारों को लागू कर दिया है। नए सुधारों के बाद, विदेशी कामगार नौकरी बदलने के अलावा खुद से एग्जिट और री-एंट्री के वीजा का अनुरोध कर सकेंगे और फाइनल एग्जिट वीजा पर भी उनका पूरा अधिकार होगा।सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के विजन-2030 और नेशनल ट्रांसफॉर्मेशन प्रोग्राम के तहत ये फैसला लिया गया है। इसके तहत, विदेशी कामगारों को कई नए अधिकार मिलेंगे। सऊदी की राजधानी रियाद में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में सऊदी अरब के मानव संसाधन और सामाजिक विकास मंत्रालय ने बताया कि श्रम कानून में सुधार मार्च 2021 से लागू हो जाएंगे।
विदेशी कामगार खुद से कर सकेंगे एग्जिट और री-एंट्री वाजा का अनुरोध-
बता दें कि अब इन सबके लिए नियोक्ता (एंप्लायर) से अनुमति की जरूरत नहीं होगी। सभी को ऑटोमैटिक मंजूरी मिल जाएगी। इससे तमाम भारतीयों को काम करने के ज्यादा बेहतरीन मौके मिलेंगे। कफाला सिस्टम में इस सुधार का फायदा एक करोड़ विदेशी कामगारों को मिलेगा जो सऊदी अरब की कुल आबादी के एक तिहाई हैं। सऊदी अरब इस सुधार के जरिए सबसे प्रतिभाशाली कामगारों को आकर्षित करना चाहता है। इससे सऊदी के बाजार में प्रतिस्पर्धी माहौल भी बनेगा। सऊदी अरब चाहता है कि स्थानीय लेबर मार्केट में ऐसा माहौल हो जिससे काम देने वालों के साथ कामगारों को भी फायदा हो। इन सुधारों के लागू होने के बाद कामगारों को सऊदी में रहते हुए अपनी नौकरी बदलने की आजादी होगी। सऊदी अरब के श्रम कानून अब इसमें रोड़ा नहीं बनेंगे। अभी तक सऊदी अरब में कफाला सिस्टम लागू था जिसके तहत नियोक्ताओं (एंप्लायर) को यह अधिकार मिला हुआ था कि वो विदेशी कामगारों को नौकरी नहीं बदलने देंगे और कर्मचारियों का देश छोड़कर जाना भी उनकी मर्जी पर निर्भर होता था।
कतर 2022 में फीफा विश्व कप की मेजबानी करेगा-
सऊदी के कफाला सिस्टम के तहत प्रवासी कामगारों के पास कोई अधिकार नहीं होता है कि अपने नियोक्ता के शोषण से बच सकें क्योंकि उन्हें देश छोड़ने और नौकरी बदलने तक का अधिकार नहीं होता है। ऐसे में विदेशी कामगारों के साथ मनमानी होती है। उनसे ज्यादा घंटों तक काम कराया जाता है। एंप्लायर सैलरी देने में भी आनाकानी करते हैं। कफाला में सुधार सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के विजन 2030 का हिस्सा है। क्राउन प्रिंस सलमान चाहते हैं कि सऊदी अरब विदेशी निवेशकों के लिए अहम ठिकाना बने और निजी सेक्टर का विस्तार हो। साथ ही, सऊदी की अर्थव्यवस्था की तेल पर निर्भरता को कम किया जाए। कतर 2022 में फीफा विश्व कप की मेजबानी करने वाला है। इसे देखते हुए कतर ने भी श्रम कानूनों को उदार बनाया है। मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि सऊदी के हालिया सुधार से विदेशी कामगारों को फायदा मिलेगा, लेकिन इसे पूरी तरह से खत्म करने की जरूरत है। ऐक्टिविस्ट का कहना है कि प्रवासी कामगारों के लिए अब भी यह अनिवार्य है कि कोई नियोक्ता उन्हें सऊदी आने के लिए स्पॉन्सर बने तभी वो आ पाएंगे। ऐसे में उन कामगारों पर अब भी नियंत्रण नौकरी देने वालों के पास ही रहेगा।