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सत्ता की खातिर अंसारी परिवार की शरण में समाजवादी पार्टी

अंसारी परिवार की शरण में समाजवादी पार्टी

Brij Nandan

लखनऊ।  2017 के विधानसभा चुनाव में अपनी साथ-सुथरी छवि को लेकर जनता के बीच जाने के लिए जिस अंसारी परिवार को अखिलेश यादव ने बाहर का रास्ता दिखाया था। आज सत्ता की खातिर अपने सिद्धान्तों से समझौता करते हुए अखिलेश यादव ने उसी अंसारी परिवार के एक सदस्य को समाजवादी पार्टी में शामिल कराकर उसे शरण देने का काम किया है। शनिवार को सपा कार्यालय में मुख्तार अंसारी के भाई सिगबतुल्ला अंसारी ने सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की मौजूदगी में सपा में शामिल हुए। सिगबतुल्ला अंसारी के सपा में शामिल होने पर जहां सपा समर्थक खुशी हैं वहीं भाजपा ने सवाल खड़े किये हैं।

सपा में पारिवारिक कलह की वजह था अंसारी परिवार, अखिलेश ने दिखाया था बाहर का रास्ता
शिवपाल यादव ने 21 जून वर्ष 2016 को मुख्तार अंसारी की पार्टी कौमी एकता दल का समाजवादी पार्टी में विलय कराया था। अखिलेश यादव इस फैसले के खिलाफ थे। वह नहीं चाहते थे कि मुख्तार अंसारी को सपा में शामिल कराया जाय। इसी वजह से अखिलेश व शिवपाल यादव में फूट पड़ी थी। अखिलेश यादव के कड़े विरोध के बाद कौमी एकता दल का विलय सपा ने वापस ले लिया था। अखिलेश इतने गुस्से में थे कि चाचा शिवपाल को फौरन प्रदेश अध्यक्ष पद से छुट्टी कर दी थी जबकि विलय में मुख्य भूमिका निभाने वाले बलराम यादव को मंत्रीमंडल से बाहर कर दिया था। इसके बाद कौमी एकता ने बसपा में अपना विलय कर दिया था। बसपा में विलय के बाद मायावती ने मुख्तार अंसारी के परिवार से तीन लोगों को विधानसभा का टिकट भी दिया था।

अंसारी बंधुओं के सहारे पूर्वांचल में पकड़ मजबूत करना चाहती है सपा
अंसारी परिवार का साथ सपा के लिए हमेशा फायदेमंद रहा है। इसलिए 2022 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी अंसारी बंधुओं के बल पर पूर्वांचल में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है। मऊ,आजमगढ़, बलिया, गाजीपुर,चंदौली और वाराणसी समेत पूर्वांचल की करीब 20 विधानसभा सीटों पर अंसारी बंधुओं की पकड़ मजबूत मानी जाती है। अब देखना यह है कि आगामी विधानसभा चुनाव 2022 में अंसारी बंधुओं का साथ सपा को कितना फायदा पहुंचा सकती है।

लोकसभा चुनाव में जागा अंसारी बंधुओं का अखिलेश प्रेम
2019 में संपन्न लोकसभा चुनाव में जब सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आजमगढ़ से चुनाव लड़ने का ऐलान किया तब अंसारी परिवार ने बिना शर्त अखिलेश का समर्थन करने की घोषणा की। इसके बाद लोकसभा चुनाव में अंसारी परिवार ने खुलकर अखिलेश यादव का प्रचार ही नहीं किया अपितु उनकी जीत के लिए पूरी ताकत लगाई। ऐसे में अब यूपी विधानसभा चुनाव में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव अंसारी परिवार को भला नजरंदाज कैसे कर सकते हैं।

अपराधियों के पैडल मारने से ही चलता है सपा की साईकिल का पहिया
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने कहा कि सपा और बसपा ने यूपी में अपराध और अपराधियों को बढ़ाने का काम किया है। बलात्कारी, अत्याचारी, अनाचारी, पापाचारी के भरोसे दोनों राजनीतिक दल चलते रहे। इन अपराधियों ने सपा बसपा को अपना ठिकाना बना रखा है। ऐसे में मुख्तार अंसारी के परिवार को फिर से समाजवादी पार्टी में शामिल किया है।
राकेश त्रिपाठी ने कहा कि सपा बिना अपराधियों के एक कदम भी नहीं चल सकती है। समाजवादी पार्टी की साईकिल का पहिया अपराधियों को पैडल मारने से ही चलता है।

 

 

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