सड़क परिवहन और राजमार्ग एवं रसायन और उर्वरक राज्य मंत्री मनसुख लाल मंडाविया ने आज नई दिल्ली में युवा सड़क सुरक्षा प्रशिक्षु लाइसेंस कार्यक्रम की शुरूआत की। यह कार्यक्रम पीपीपी पहल है जिसे डियाजियो इंडिया और इंस्टीट्यूट ऑफ रोड ट्रैफिक एजुकेशन (आईआरटीई) के सहयोग से चलाया जाएगा। यह युवाओं, पहली बार गाड़ी चलाने वाले जिन्होंने प्रशिक्षु लाइसेंस के लिए आवेदन किया हुआ है, उनके लिए एक औपचारिक और संरचित प्रशिक्षण कार्यक्रम तैयार करने का एक प्रयास है।
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देश में अपनी तरह के ऐसे पहले प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरूआत करते हुए मंडाविया ने कहा कि सरकार के लिए सड़क सुरक्षा का बेहद महत्व है क्योंकि हाल के समय में सड़क दुर्घटनाओं खासतौर से युवाओं के मारे जाने की घटनाओं में तेजी से वृद्धि आई है। तेज गाड़ी चलाने, शराब पीकर गाड़ी चलाने, आवश्यक सुरक्षा उपायों के अभाव में जैसे हेलमेट नहीं पहनना आदि कुछ ऐसे प्रमुख कारक हैं जिसके कारण सड़क दुर्घटनाएं बढ़ी हैं। मंडाविया ने कहा कि सरकार शहरों और सुरक्षित सड़कों को वास्तविकता में बदलने की अपनी परिकल्पना के प्रति कृतसंकल्प है। इस कार्यक्रम से सरकार को 2020 तक सड़क दुर्घटनाओं में 50 प्रतिशत कमी लाने के अपने लक्ष्य को हासिल करने में सहायता मिलेगी।
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मंत्रालय में अपर सचिव लीना नंदन ने कहा कि सड़क का प्रयोग कर रहा प्रत्येक व्यक्ति सड़क सुरक्षा का ब्रांड एम्बेसेडर है। उन्होंने बताया कि विश्व में होने वाली सड़क दुर्घटनाओं का 12.5 प्रतिशत (एक वर्ष में 1.45 लाख से अधिक मौतें) भारत में होती है। अचंभित देने वाली बात यह है कि ऐसी सड़क दुर्घटनाओं का शिकार 72 प्रतिशत लोग 15-44 आयु वर्ग के है जो तेज गति, असावधानी और शराब पीकर गाड़ी चलाने के कारण दुर्घटना के शिकार हुए हैं। जिसके कारण 1.5 प्रतिशत सड़क दुर्घटनाएं हुई और 4.6 प्रतिशत मौतें हुई। उन्होंने इस पहल का स्वागत किया।