लखनऊ। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव की तैयारियां तेज हो गई हैं। सभी दल अपनी रणनीतियों को अंजाम दे रहे हैं। पंचायत चुनाव के बाद नए जोश के साथ राष्ट्रीय लोक दल भी यूपी में ताल ठोंकने की तैयारी कर रही है। इसको देखते हुए रालोद ने अपने संगठनों को सक्रिय करना शुरू कर दिया है। इस बीच रालोद ने अपने अनुसूचित जाति व जनजाति प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष की नियुक्ति की है। इस नियुक्ति के बाद से चर्चा शुरू हो गई है।
जानिए क्यों हो रही है चर्चा
रालोद ने अनुसूचित जाति व जनजाति प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष की जिम्मेदारी फ्रीलांश पत्रकार रहे प्रशांत कनौजिया को दी है। प्रशांत अपनी विवादित टिप्पणियों के कारण कई बार जेल की हवा खा चुके हैं। साथ ही सोशल मीडिया पर भी वो लगातार अपनी विवादित टिप्पणियों से चर्चा के केंद्र बिंदु में बने रहते हैं।
श्री प्रशांत कनौजिया जी को राष्ट्रीय लोकदल अनुसूचित जाति/जनजाति प्रकोष्ठ का राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोनीत किए जाने पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं। #RLD #RLD4ScSt @PJkanojia pic.twitter.com/ee8jqFJAhm
— Rashtriya Lok Dal (@RLDparty) June 20, 2021
सीएम योगी पर टिप्पणी कर आए चर्चा में
28 साल के प्रशांत यूं तो रहने वाले मुंबई के हैं, लेकिन पत्रकारिता में अपनी सेवाएं देने के लिए दिल्ली और नोएडा में लंबे समय तक रहे हैं। उन्होंने कई बड़े मीडिया संस्थानों में अपनी सेवाएं दीं लेकिन उनका मन पत्रकारिता में नहीं लगा। सोशल मीडिया पर सक्रिय रहने वाले प्रशांत कनौजिया धर्म और राजनीति पर विवादित टिप्पणियों के लिए जाने जाते हैं।
प्रशांत पहली बार उस समय चर्चा में आए जब उन्होंने सीएम योगी को लेकर एक ट्विट किया और यूपी पुलिस ने उन्हें दिल्ली से उनके आवास से गिरफ्तार कर लिया। मामला साल 2019 का है। उस समय एक महिला का वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें वह खुद को सीएम योगी की प्रेमिका बता रही थी और लव लेटर लेकर सीएम के पास जाने का दावा कर रही थी। इस विडियो को एक मीडिया संस्थान ने ट्विट किया था। जिसे रिट्वीट करते हुए प्रशांत ने लिखा कि इश्क छुपता नहीं छिपाने से योगी जी। इसके अलावा प्रशांत ने एक और विवादित ट्वीट करते हुए लिखा था कि योगी जी आप विडियो चैट कर सकते हो तो इश्क का इजहार क्यों नहीं। समाज की नो सोचो आप भाग जाओ, हम आपकी शादी करवा देंगे।
इस ट्वीट के आधार पर यूपी पुलिस ने कार्रवाई करते हुए प्रशांत को दिल्ली से गिरफ्तार कर लिया। उसके बाद यूपी से लेकर दिल्ली तक पत्रकारों ने मोर्चा खोल दिया। नागरिक अधिकारों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बताकर प्रशांत को रिहा करने की मांग उठने लगी। मामला इतना बढ़ गया कि एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने भी योगी सरकार की कड़ी निंदा करते हुए रिहा करने की मांग की। उसके बाद राहुल गांधी और मायावती ने भी प्रशांत के पक्ष में ट्वीट करते हुए गिरफ्तारी की निंदा की। आखिरकार मामले में हस्तक्षेप करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत की गिरफ्तारी को गलत बताया और रिहा करने के आदेश दिए। साथ ही प्रशांत को भी उनके अभद्र ट्वीट के लिए चेतावनी दी।
राम मंदिर पर भी की टिप्पणी तो भेजे गए जेल
सीएम योगी पर अपनी विवादित टिप्पणी के बाद प्रशांत सुर्खियों में आ गए हैं। सोशल मीडिया पर उनके फॉलोवर बढ़ने लगे। इसी बीच राम मंदिर के निर्माण की प्रक्रिया शुरू हो गई। एक साल बाद फिर प्रशांत ने राम मंदिर को लेकर सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे सुशील तिवारी नाम के व्यक्ति के नाम से विवादित पोस्टर को उन्होंने ट्वीट करते हुए सवाल खड़े कर दिए थे। उस पोस्टर में लिखा था कि राम मंदिर के में एससी-एसटी व ओबीसी समाज के व्यक्ति को प्रवेश ना दिया जाए। सोशल मीडिया पर वायरल पोस्टर में सुशील तिवारी नाम के व्यक्ति से यह कहा गया था।
Freelance journalist Prashant Kanojia arrested by Uttar Pradesh Police from his Delhi residence over a social media post about Ayodhya's Ram Temple. (File Photo) pic.twitter.com/SES675AOhV
— ANI (@ANI) August 18, 2020
इसके बाद प्रशांत ने राम मंदिर पर सवाल किए थे। जिसके बाद सुशील तिवारी नाम के व्यक्ति ने एफआईआर दर्ज करा दी कि उनके नाम को बदनाम किया जा रहा है। प्रशांत पर उन्होंने आरोप लगाया कि उन्होंने जानबूझकर उनको बदनाम करने की साजिश रची है। उसके बाद पुलिस ने प्रशांत को गिरफ्तार कर लिया था। काफी जद्दोजहद के बाद करीब तीन महीने बाद प्रशांत को जेल से रिहा किया गया था।
जिम्मेदारी मिलने के बाद क्या बोले प्रशांत
अनुसूचित जाति व जनजाति प्रकोष्ठ का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद प्रशांत ने कहा कि सबकी आकांक्षाओं पर खरा उतरुंगा और योगी सरकार व भाजपा के लोगों ने दलितों-पिछड़ों पर हुए अत्याचार का हिसाब लिया जाएगा।
माननीय राष्ट्रीय अध्यक्ष @jayantrld जी तथा समस्त पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं के अकांक्षाओं पर खरा उतरने की कोशिश करूंगा। इसके अलावा योगी आदित्यनाथ सरकार और भाजपा के लोगों द्वारा दलितों-पिछड़ों पर हुए अत्याचार का 2022 में हिसाब लेंगे। pic.twitter.com/aYrLLpRuRm
— Prashant Kanojia (@PJkanojia) June 20, 2021