लखनऊ। साल 2016 में जल निगम के 1300 पदों पर भर्ती को लेकर हुए घोटाला मामले में उत्तर प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री और सपा नेता आजम खां ने एसआईटी मुख्यालय में लगभग 2 घंटे में दो चरणों में बयान दर्ज करवाया। पहले चरण में बतौर विभागीय मंत्री दिए गए आदेशों पर स्पष्टीकरण और दूसरे चरण में जल निगम बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में लिए निर्णयों पर स्पष्टीकरण मांगा गया। आजम जल निगम में साल 2016 के आखिर में 1300 पदों पर हुई भर्ती में अनियमितता मामले में बयान दर्ज कराने आए थे। इस मामले में जांच अधिकारी इंस्पेक्टर अटल बिहारी, एएसपी अमृता मिश्रा और एसपी नागेश्वर सिंह ने उनके बयान लिए। आजम के अलावा नगर विकास विभाग में उनके सचिव रहे एसपी सिंह ने अपना बयान दर्ज कराया।
आजम ने अपने बयान में कहा है कि ये रिश्वत का मामला नहीं है बल्कि कागजों में हुई गड़बड़ी का है। भर्ती प्रक्रिया कैसे होती है, कब वैकेंसी निकलती है, कब परीक्षा होती है और कब रिजल्ट घोषित किए जाते हैं, ये सारा काम विभाग का है। इससे उनका कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा कि जिन बच्चों को नौकरियां मिली वो डिग्रीधारी थे और उन्होंने क्वालिफाई किया था। किसी ठेले वाले को नौकरी नहीं दी गई। वहीं एसआईटी के सूत्रों का कहना है कि आजम खां ने ऐसी फाइलों पर भी हस्ताक्षर किए थे, जिसका अधिकार उन्हें नहीं था। इस बारे में आजम ने कहा कि संभव है कि एमडी ने उनसे धोखे से ऐसी फाइलों पर हस्ताक्षर करा लिए हों।
आपको बता दें कि एसआईटी इस मामले में आजम खां समेत 10 लोगों से पूछताछ कर चुकी है। इनमें जल निगम बोर्ड के एमडी पीके आशुदानी, आजम के ओएसडी रहे सैयद अफाक अहमद, नगर विकास विभाग के पूर्व सचिव एसपी सिंह शामिल हैं। सूत्रों का कहना है कि अभी और 10 लोगों से पूछताछ की जाएगी। इसके बाद ही शासन को रिपोर्ट सौंपी जाएगी। जिनसे से पूछताछ होनी है, उसमें ऑनलाइन परीक्षा कराने वाली एजेंसी के मालिकों, परीक्षा बोर्ड और इंटरव्यू बोर्ड में शामिल लोग शामिल हो सकते हैं इसी मुद्दे पर आजम खां को नोटिस भेजकर स्पष्टीकरण मांगा गया था। एसपी ने बताया कि शिकायत में रिश्वत लेन-देन की बात नहीं कही गई है और न ही अब तक जिन लोगों के बयान लिए गए हैं, उसमें रिश्वत की बात सामने आई है।