नई दिल्ली। केरल में आई जल प्रलय का कहर रविवार को कुछ कम होता दिखाई दिया है। शुक्रवार से बारिश कम होने के चलते स्थिति में यह सुधार दिखा है। हालांकि अब रिलीफ कैंपों में ठहरे करीब 20 लाख लोगों के बीमारियों के शिकार होने का खतरा पैदा हो गया है। बीते 8 अगस्त से लगातार तीव्र बारिश के चलते सूबे में बीते एक सदी की सबसे खतरनाक बाढ़ आ गई है। करीब 10 दिनों में ही 186 लोग बाढ़ के चलते काल के गाल में समा गए हैं। इनमें से बहुत से लोगों की तो बाढ़ के चलते हुए भूस्खलन में ही जान चली गई।
हालांकि मौसम विभाग ने रविवार को कुछ ही इलाकों में भारी बारिश की आशंका जाहिर की है और तमाम इलाकों में बाढ़ के पानी का स्तर घटने लगा है। घरों और छतों पर फंसे लोगों को बचाने के लिए सेना, एनडीआरएफ समेत तमाम सरकारी एजेंसियां पूरी तरह से मुस्तैद हैं। इसके अलावा फूड पैकेट्स समेत तमाम तरह की राहत भी लोगों तक पूरी तेजी के साथ पहुंचाई जा रही हैं। अधिकारियों का कहना है कि फिलहाल बचाव टीमों का फोकस पम्पा नदी के किनारे बसे चेनगन्नूर कस्बे पर है, जहां 5,000 लोग फंसे हुए हैं। केरल हेल्थ डिपार्टमेंट में डिजास्टर मैनेजमेंट का काम देखने वाले अनिल वासुदेवन ने कहा कि अथॉरिटीज ने ऐसे तीन लोगों को अलुवा के एक रिलीफ कैंप से अलग कर दिया है, जो चिकनपॉक्स के शिकार थे।
उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग प्रदूषित जल और वायु से पैदा होने वाली बीमारियों के खतरे से निपटने की तैयारी कर रहा है। तीन महीने पहले शुरू हुई मॉनसून की बारिश के बाद से अब तक 2 लाख लोग रिलीफ कैंपों में शरण ले चुके हैं। शनिवार को पीएम मोदी ने कई इलाकों का सर्वे करने के बाद 500 करोड़ रुपये की राहत राशि का ऐलान किया था। राज्य के सीएम पिनराई विजयन सूबे में खाद्य सामग्री की कोई कमी नहीं है।