चंडीगढ़। पंजाब के सरकारी तंत्र में दिन-प्रतिदिन बढ़ते भ्रष्टाचार पर नकेल कसने के लिए अमरिंदर सरकार ने पुराने लोकपाल को निरस्त करके उसकी जगह सश्क्त लोकपाल लाने की तैयारी शुरू कर दी है। इस कानून की खासियत ये होगी कि इसके लागू होने के बाद मुख्यमंत्री और मंत्रियों पर भी इसके तहत मामले दर्ज होंगे और केस चलाए जाएंगे। बता दें कि इससे पहले केवल अधिकारियों और कर्मचारियों को ही इसके अधीन लिया गया था, लेकिन अब नया लोकपाल पहले की अपेक्षा ज्यादा सशक्त होगा।
हालांकि अभी तक साफ नहीं हो पाया है कि लोकपाल के पास होने के बाद जांच के लिए क्या-क्या शक्तियां होंगी। यानी क्या उन्हें जरूरत के मुताबिक स्टाफ मुहैया करवाया जाएगा? जांच विंग को पुलिस से हटाकर लोकपाल के अधीन किया जाएगा? या फिर जांच के लिए लोकपाल पूरी तरह से राज्य पुलिस पर ही निर्भर करेगा। लोकपाल बिल को लेकर विजिलेंस विभाग ने कई बैठक कर बनाई गई फाइल को मंजूरी के लिए सीएम अमरिंदर सिंह के पास भेज दिया है।
सीएम की मंजूरी के बाद इस बिल को कैबिनेट की स्वीकृति के लिए लेकर जाया जाएगा। बिल को लेकर सीएम कार्यालय का कहना है कि अभी उन्हें फाइल नहीं मिली है,लेकिन सरकार इसमें बदलाव करने जा रही है। सूत्रों का कहना है कि नया लोकपाल अधिनियम केंद्रीय लोकपाल की ही तरह होगा। इस बात की पूरी संभावना है कि सितंबर में होने वाले पंजाब विधानसभा सत्र के दौरान इसे पास करवा लिया जाए। पंजाब के लोकपाल जस्टिस रिटायर्ड एसके मित्तल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है।