नई दिल्ली। दिल्ली के तख्त पर राज कर रही आम आदमी पार्टी ने बीते गुरूवार अपनी राष्ट्रीय परिषद की 6 वीं बैठक आहुत की। बैठक को लेकर पहले ही हंगामे के आसार थे, वैसा ही बैठक में हुआ । बैठक में हंगामे के बीच कई प्रस्तावों को पार्टी की सदस्यों के सामने रख कर पारित किया गया। इस बैठक में दिल्ली के मुख्यमंत्री और पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल परिषद के सदस्यों को दिल्ली में पार्टी की सरकार के कामों को बताते हुए कहा कि सरकार पूरी मजबूती के साथ काम कर रही है। जनता की जरूरतों और परेशानियों के लिए पार्टी और सरकार सड़क से लेकर संसद तक आवाज उठाने के लिए हमेशा तैयार है।
बैठक में देश के अन्य राज्यों में पार्टी के विस्तार और अलग-अलग प्रभारियों की नियुक्ति को लेकर भी कई बातें परिषद के सामने आई। अलग-अगल राज्यों में संगठन के निर्माण को लेकर भी मंथन किया गया। इस राष्ट्रीय परिषद की बैठक में मौजूदा केन्द्र सरकार की आलोचना करते हुए नेताओं ने सरकार की नीतियों को जन विरोधी करार दिया है। बैठक में पार्टी के प्रवक्ता और नेता आशुतोष ने अपने विचार रखते हुए कई प्रस्तावों को बैठक की पटल पर रखा जिसको सर्वसहमति से पारित किया गया।
पार्टी की बैठक में पारित प्रस्ताव
राजनीतिक प्रस्ताव
1- पार्टी ने प्रस्ताव में सबसे पहले केन्द्र सरकार की निंदा करते हुए देश में आपातकाल जैसा माहौल बताया और केन्द्र सरकार की नीतियों की निंदा की। कहा कि देश में केन्द्र सरकार अपने खिलाफ आवाज उठाने वालों और खासतौर पर मीडिया के लोगों को अब टारगेट कर रही है। केन्द्र सरकार संविधान के मौलिक अधिकारों को हनन कर रही है।
2- पार्टी ने केन्द्र सरकार पर दूसरा आरोप लगाते हुए कहा कि देश में सांप्रदायिकता का माहौल बढ़ता जा रहा है। केन्द्र सरकार राज्यों में सांप्रदायिकता फैलाकर चुनावों में एक रणनीति के तहत लोगों को गुमराह कर रही है। मौजूदा हालात को लेकर पार्टी काफी चिंतित है। पार्टी सभी लोगों से आपसी सौहार्द बनाए रखने की अपील करती है।
3-आम आदमी पार्टी की राष्ट्रीय परिषद की बैठक में इवीएम मशीनों को लेकर भी प्रस्ताव पारित करते हुए कहा गया पार्टी चुनाव आयोग से मांग करेगी कि मशीनों के साथ 25 फीसदी बूथों पर पेपर ट्रेल की व्यवस्था अनिवार्य रूप से लागू करे। पार्टी ने कहा कि केन्द्र सरकार ने यूपी और पंजाब के चुनाव में ईवीएम मशीनों में व्यापक तौर पर घोटाला किया। जिसको लेकर पार्टी ने आंदोलन किया जिसके फलस्वरूप ईवीएम के साथ वीवीपैट का इस्तेमाल लागू हो गया है।
4- परिषद में दिल्ली के उप राज्यपाल को लेकर केन्द्र सरकार पर निशाना साधा गया कहा गया कि केन्द्र सरकार उप राज्यपाल के कंधे पर बंदूक रख कर दिल्ली सरकार के कामों को रोकने का काम करती है।
5- परिषद में पारित प्रस्ताव में कहा गया कि पार्टी एक भ्रष्टाचार मुक्त वैकल्पिक राजनीति को जनता को देना चाहती है। जिससे समाज के सभी वर्गों का राजनीतिक आर्थिक और सामाजिक विकास हो सके।
6- इसके साथ ही जनलोकपाल बिल को लेकर भी राष्ट्रीय परिषद में प्रस्ताव पारित करते हुए कहा गया कि दिल्ली विधानसभा में पारित जनलोकपाल बिल को हम केन्द्र सरकार के पास भेज कर इसे लागू कराने के लिए केन्द्र सरकार पर पार्टी दबाव बनाएगी।
7- परिषद में पारित प्रस्तावों में देश में दलितों और वर्ग विशेष पर धर्म और जाति के नाम पर हो रहे अत्याचार और भेदभाव के खिलाफ पार्टी एक रणनीति के तहत काम करते हुए इससे रोकने का प्रयाल करेगी।
आर्थिक प्रस्ताव
1- मौजूदा वक्त में देश की गिरती अर्थव्यवस्था को लेकर परिषद में चिंता व्यक्त की गई । परिषद ने कहा कि केन्द्र सरकार की गलत नीतियों के कारण लगातार विकास की दर गिरती जा रही है। केन्द्र सरकार मंहगाई को रोकने में असक्षम साबित होती जा रही है। गरीबों के मुंह से निवाला छिनने की नौबत आ गई है। केन्द्र सरकार आर्थिक सुधार के नाम जनविरोधी नीतियों को लागू करती जा रही है। नोटबंदी और जीएसटी जैसी नीतियों के कारण देश की जनता को परेशानी के साथ अब मंहगाई का सामना करना पड़ रहा है। केन्द्र सरकार ने बड़े डिफॉल्टरो को मदद करने के लिए ब्याज की दरें घटा दी गई। इससे देश में छोटे व्यापारियों को नुकसान हुआ है। सरकार ने आम आदमी से लेकर छोटे व्यापारियों को न्यूनतम बैलेंस के नाम पर ठग और बड़े उद्योगपतियों के कर्ज माफ कर दिए।
2- केन्द्र सरकार ने बीते साल 8 नवम्बर को नोटबंदी लागू कर जहां जनता को परेशान कर दिया जिसके बाद कई छोटे उद्योगपतियों के धन्धे चौपट हो गए। सैकड़ों लोगों की मौते हो गई, लोगों को भूखे सोना पड़ा। देश में हाहाकार मच गया। लोगों को बैंकों की कतार में खड़ा कर दिया। इसके साथ ही अब जीएसटी लागू कर अलग अलग स्लैब और रेट तय कर जनता को परेशान कर रही है। पार्टी केन्द्र सरकार से इन सभी जनविरोधी कामों के लिए जनता से सार्वजनिक तौर पर माफी मांगने की मांग करती है।
3- पार्टी केन्द्र सरकार से मांग करती है कि देश के बड़े बैंक डिफॉल्टर्स के नाम सार्वजनिक करे। इशके साथ ही जीएसटी औऱ नोटबंदी पर केन्द्र सरकार एक श्वेत पत्र लेकर आये और देश की जनता को सच से अवगत कराए।
किसानों के लिए प्रस्ताव
1- किसानों की लगातार हो रही आत्महत्या के लिए परिषद में केन्द्र सरकार की नीतियों को जिम्मेदार ठहराया गया। कहा कि सरकार ने किसानों की दशा को सुधारने के लिए स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू नहीं किया है। सरकार ने कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर साफ कर दिया कि इस आयोग की सिफारिशों को लागू नहीं किया जा सकता। सरकार ने देश के किसानों के विश्वास के साथ खेला है। किसानों की बातें सुनने की जगह सरकार अन्नदाता के सीने पर गोली चला रही है। देश के बड़े कॉरपोरेट घरानों के करोड़ों के कर्ज माफ किये जा रहे हैं, लेकिन किसानों का लाखों का कर्ज माफ करने के नाम पर सरकार के पास पैसा नहीं है।
2- केन्द्र सरकार की किसान विरोध नीतियों के खिलाफ राष्ट्रव्यापी किसान आंदोलन का पार्टी समर्थन प्रस्ताव परित करती है। पार्टी किसानों की कर्ज मुक्ति और स्वामीनाथन रिपोर्ट को केन्द्र सरकार से लागू करने के साथ जिन किसान परिवारों में आत्महत्याए हुई है उन्हे उचित मुआवजा देकर सरकारी नौकरियां देने के प्रावधान को लागू करने के लिए प्रस्ताव पारित करती है।
युवाओं के लिये प्रस्ताव
1- भारत में युवा शक्ति की कोई कमी नहीं है लेकिन केन्द्र सरकार की नीतियों के कारण आज युवा वर्ग सबसे ज्यादा निराश है। केन्द्र सरकार ने चुनाव में दो करोड़ नौकरियों को देने का वादा किया था। लेकिन सरकार के जन विरोधी नीतियों जैसे नोटबंदी और जीएसटी ने करीब 45 फीसदी रोजगार के अवसरों को खत्म कर दिया है। युवाओं की 90 फीसदी नौकरियां असंगठित क्षेत्र में थीं जो नोटबंदी के कारण खत्म हो गई।
2-पार्टी केन्द्र सरकार को युवाओं की शिक्षा के साथ रोजगार के लिए समुचित कदम उठाने के साथ स्किल डेवलपमेंट और खेलकूद के लिए अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए दबाव बनाएगी।
3- पार्टी केन्द्र सरकार ने मुफ्त शिक्षा के साथ सरकारी शिक्षण संस्थानों को और बेहतर करने के साथ वहां पर आर्थिक बजट बढ़ाने के लिए प्रस्ताव पारित पर भेजेगी। इसके साथ शिक्षा के लिए छात्रों को सरकार बिना सिक्योरिटी लोन दे। इसके साथ उच्च शिक्षा में हो रहे व्यापमं जैसे घोटालों की रोकथाम के लिए एक फुलप्रूफ प्लान लेकर आए।
4- सरकार सरकारी स्कूल की स्थिति और दशा सुधारने के लिए प्रयास करे ना कि इन स्कूलों को बंद करे । इस स्कूलों को प्राइवेट स्कूलों की तर्ज पर सरकार खड़ा करने का प्रयास करे।