राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 4 सितंबर, 2018 को साइप्रस विश्वविद्यालय में उपदेश दिया। राष्ट्रपति के व्याख्यान का शीर्षक ‘युवा, प्रौद्योगिकी और आइडिया, 21वीं शताब्दी की रूपरेखा को नया स्वरूप प्रदान करना’ था।
साइप्रस विश्वविद्यालय में कार्यक्रम में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि हम तेजी से बदलती दुनिया में रहते हैं। प्रौद्योगिकी, स्टार्ट-अप, नवाचार, नए विचार, डिजिटल सहायक और स्वच्छ ऊर्जा की दुनिया हमारी जिंदगी में अविश्वसनीय तरीके से बदलाव लायेंगे। सबसे महत्वपूर्ण यह है कि शायद इतिहास में पहली बार इस तेज बदलाव को लाने में युवा सीधे तौर पर और बड़े स्तर पर शामिल होंगे।
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राष्ट्रपति ने कहा कि प्रौद्योगिकी ने सीखने की एक पूरी नई दुनिया खोल रखी है। यह हमारे कार्यों को पूरा करना भी काफी आसान बना दिया है। हालांकि किसी को प्रौद्योगिकी की तत्काल प्रकृति की धारा में नहीं बहना चाहिए। श्रेष्टता की दौड़ मुख्य कारक होनी चाहिए जो भावी पीढ़ियों को प्रभावित कर सके।राष्ट्रपति ने कहा कि बदलती दुनिया वैश्विक समुदाय के बीच और अधिक सहयोग की मांग करती है। हमें विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के फायदों का लाभ पाने के लिए विभिन्न समुदाय और देशों के लिए खुले संसाधन मंच का निर्माण करना चाहिए।
शांति और सुरक्षा की तलाश में एक-दूसरे की मदद करनी चाहिए
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत और साइप्रस एक चुनौतीपूर्ण सुरक्षा वातावरण में स्थित हैं। हमें शांति और सुरक्षा की तलाश में एक-दूसरे की मदद करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत साइप्रस द्वारा आतंकवादी गतिविधियों की पुरजोर निंदा की सराहना करता है। और आतंकवाद को हराने और उसे नष्ट करने के लिए भारत, साइप्रस के साथ मिलकर काम करने की उम्मीद करता है।