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2019 लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस की रणनीति-ऐसे होगी केन्द्र में वापसी

06 23 2019 लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस की रणनीति-ऐसे होगी केन्द्र में वापसी

नई दिल्ली। 2019 के चुनाव के लिए सभी राजनैतिक पार्टियां अपनी पुरजोर कोशिशें कर रही हैं। जहां एक और राजनीतिक पार्टियां दलित हमदर्द बनने की कोशिश कर रहीं हैं। तो वहीं दूसरी और कोई अपनी स्थिती को मजबूत करने की कोशिश कर रही हैं। बता दे कि कांग्रेस को इस बात का भलि भांति पता है कि अगर उसे केंद्र में में वापस आना है तो उसे उत्तर प्रदेश और बिहार में पार्टी को ताकतवर बनाना होगा। पार्टी को बिना ताकतवर बनाए ये मुमकिन नहीं हो सकता।

06 23 2019 लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस की रणनीति-ऐसे होगी केन्द्र में वापसी

इसलिए बिहार में कांग्रेस ने राज्य में अपनी स्थिती को मजबूत करने के लिए एक नई रणनीति तैयार की है। बता दे कि इसी सिलसिले में बिहार में कांग्रेस के नए प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल ने राज्य में पार्टी के सभी जिलाध्यक्षों के साथ बैठक करके ‘प्लान 2019’ तैयार किया है।

लालू प्रसाद यादव और राहुल गांधी की मुलाकात क्या लाएगी रंग

जिसमें पहला लक्ष्य 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन बेहतर से बेहतर करना है और इसके साथ ही भविष्य में बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टी को मजबूत स्थिति में पहुंचाना है। हालांकि फिलहाल फोकस 2019 पर ही रखा जाएगा। बता दे कि कुछ समय पहले आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के बीच मुलाकात हुई थी और मुलाकात के दौरान जो चीजें तय हुई थी। वो भी बिहार को लेकर कांग्रेस के प्लान में शामिल रहेंगी।

2019 के लिए कांग्रेस की रणनीति-ऐसे आएगी सत्ता में वापस

पार्टी ने राज्य को 39 जिलों में बांट कर रणनीति बनाई है। राज्य में अधिकतर जो भी जिलाध्यक्ष हैं या बनेंगे, वो पूर्व विधायक, पूर्व सांसद या पूर्व मंत्री नहीं हैं, इसके चलते वो कई बार सियासी दांवपेंच में कमजोर पड़ जाते हैं। इसलिए पार्टी ने तय किया है कि वो राज्य में पार्टी के 27 विधायकों में से विश्वासपात्र 17 विधायकों को नई जिम्मेदारी देगी। साथ ही राज्य से 22 दिग्गज, मजबूत और ताकतवर नेताओं की लिस्ट भी तैयार की जा रही है।

जल्दी ही इन सभी को एक जिला गोद लेने को कहा जायेगा। उस जिले में पार्टी की मजबूती के लिए इनको जिलाध्यक्ष के हाथ मजबूत करने होंग। हां, इस बात का ख्याल रखा जायेगा कि विधायक और बाकी बड़े नेताओं को अपने जिले के बजाय पड़ोस के जिले की जिम्मेदारी दी जायेगी, जिससे आपसी खींचतान की संभावना ना बढ़े। जल्दी ही पार्टी प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल के साथ चार प्रभारी सचिव भी नियुक्त किया जायेंगे, जिनका काम 10 -10 जिलों की निगरानी करना होगा। राहुल गांधी के सख्त निर्देश हैं कि मॉनीटरिंग के बाद सबकी जवाबदेही भी तय की जाएगीय़

राहुल गांधी और लालू यादव की मुलाकात के बाद तय हुआ कि, कांग्रेस अगड़ी जातियों के साथ ही गैर यादव ओबीसी परखास फोकस रखेगी। दरअसल, लालू का मानना है कि, कांग्रेस उस वोट बैंक पर निगाह गड़ाए जो बीजेपी के पाले में चला गया है। बाकी मुस्लिम यादव को तो वो खुद ही लामबंद कर लेंगे। इसी परिप्रेक्ष्य में लालू ने राहुल से बिहार में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष बनाने की सलाह भी दी। अशोक चौधरी के जाने के बाद से कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी खाली है।

कांग्रेस वर्षों से बिहार की सत्ता से बाहर है, इसलिए पार्टी लोगों को बताएगी कि जब वो सत्ता में थी तो बेरोजगारी, किसान और तमाम वर्गों के लिए क्या- क्या योजनाएं लाई थी और तब राज्य की क्या स्थिति थी। इसके साथ ही लोगों को समझाया जाएगा कि कांग्रेस का भविष्य में क्या करने का इरादा है जिससे बिहार खुशहाल हो सके। पार्टी जिलेवार प्रेस कॉन्फ्रेंस करने के साथ इस सब का प्रचार-प्रसार करेगी। यानि कांग्रेस के वक्त वर्षों पहले क्या था और आगे कांग्रेस का क्या रोडमैप होगा।

इसी के साथ ही राहुल ने जिस मछुआरा कांग्रेस का गठन किया है, उसको बिहार में खासतौर विस्तार दिया जायेगा। कांग्रेस को लगता है कि, बिहार में गंगा किनारे इस वर्ग की अच्छी खासी संख्या है, लेकिन अभी तक इनको लेकर अहम योजनाएं नहीं हैं। इसलिए पार्टी इस पर खासतौर से फोकस करेगी।
बता दे कि इस प्लान के अनुसार चुनावी गणित के जरिए ही बिहार में पार्टी को खड़ा करने की कवायद की जा रही है। इसके साथ ही जो चुनावी रणनीति कागजों पर तैयार की गई है उसे धरातल फर उतारना राहुल गांधी और शक्ति सिंह गोहिल के लिए काफी बड़ी चुनौती साबित हो सकती है।

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