नई दिल्ली। करीब साढ़े चार साल से लंबित करीब 32 दया याचिकाओं पर राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने अपना फैसला सुना दिया है। आगामी जुलाई माह में आने वाले नये राष्ट्रपति का बोझ हल्का करते हुए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने सभी दया याचिकाओं की सुनवाई कर दी। ये मामले तीन पूर्ववर्ती राष्ट्रपति के आर नारायणन, एपीजे अब्दुल कलाम और प्रतिभा पाटिल के समय से लंबित थे।
गौरतलब है कि वर्ष 2000 से अब तक के लंबित सभी 32 दया याचिकाओं में से 28 को उन्होंने खारिज कर दिया। इनमें से मृत्युदंड वाले चार मामलों को उम्र कैद में बदल दिया है। खारिज हुई याचिकाओं में संसद आतंकी हमले के आरोपी अफजल गुरु, 26/11 मुंबई आतंकी हमले के मोहम्मद अजमल कसाब और 1986 में एक परिवार के 13 सदस्यों की हत्या करने वाला गुरमीत सिंह शामिल है। राष्ट्रपति ने 1993 के बारुदी सुरंग विस्फोट के आरोपियों की दया याचिका खारिज कर दी। इस विस्फोट में 22 जवानों की मौत हो गयी थी।
यहां पर गौर करने वाली बात यह है कि हाल के दिनों में भारत के किसी भी राष्ट्रपति के द्वारा इतनी बड़ी संख्या में दया याचिकाओं पर फैसला नहीं लिया गया है।