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Kumbh Mela 2021: हरिद्वार में महाकुंभ की तैयारियां पूरी, जानें कब है शाही स्नान

WhatsApp Image 2021 01 20 at 2.33.36 PM Kumbh Mela 2021: हरिद्वार में महाकुंभ की तैयारियां पूरी, जानें कब है शाही स्नान

हरिद्वार। हर बार की तरह इस बार भी कुंभ मेले की भव्य तैयारिया हो रही है। सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम किए जा रहे हैं। कुंभ मेला की तैयारियां अब अंतिम चरण में हैं। आपको बता दें कि दुनिया को सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन और हिन्दुओं का सबसे बड़ा मेला कुंभ का मेला इस साल हरिद्वार में आयोजित होगा। इससे पहले अर्धकुंभ प्रयागराज में हुआ था वहां करीब 35 करोड़ हिन्दुओं ने आस्था की डुबकी लगाई थी। यहां भी गंगा में आस्था और मोक्ष की डुबकी लगाने करोड़ों श्रद्धालु और साधु संत हरिद्वार के घाट पर इकट्ठे होंगे।

 

आपको बतादें कि कुंभ मेले में कुल चार शाही स्न्नान होंगे-

पहला शाही स्नान: 11 मार्च शिवरात्रि
दूसरा शाही स्नान: 12 अप्रैल सोमवती अमावस्या
तीसरा मुख्य शाही स्नान: 14 अप्रैल मेष संक्रांति
चौथा शाही स्नान: 27 अप्रैल बैसाख पूर्णिमा

 

माना जाता है कि आसुरों और देवताओं के बीच हुए समुद्र मंथन के बाद जो अमृत का घड़ा था, वो घड़ा लेकर जब भगवान इंद्र के बेटे जयंत जा रहे थे तो 4 जगहों पर अमृत की बूंदें टपकी थीं। ये 4 पवित्र शहर हैं हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक। हरिद्वार में गंगा नदी के किनारे, उज्जैन में शिप्रा नदी के तट पर, नासिक में गोदावरी के घाट पर और प्रयाग (इलाहाबाद) में गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम स्थल पर कुंभ का आयोजन होता है। धार्मिक विश्‍वास के अनुसार कुम्भ में श्रद्धापूर्वक स्‍नान करने वाले लोगों के सभी पाप कट जाते हैं और उन्‍हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। हरिद्वार में इस साल होने जा रहा कुंभ का आयोजन साढ़े तीन महीने के बजाय केवल 48 दिन का ही होगा। कोरोना की वजह से 11 मार्च से 27 अप्रैल तक ही कुम्भ मेला चलेगा।

 

कुम्भ हिंदुओं का सबसे बड़ा धार्मिक मेला है। हर 6 साल में अर्ध कुम्भ और हर 13 वर्ष में महा कुम्भ का आयोजन होता है। इस साल हरिद्वार का महाकुम्भ 11 साल पर ही हो रहा है। 82 साल बाद इस बार हरिद्वार कुंभ बारह की बजाय ग्यारह वर्ष बाद पड़ रहा है। इससे पहले 1938 में यह कुंभ ग्यारह वर्ष बाद पड़ा था। कहते हैं ग्रहों के राजा बृहस्पति कुंभ राशि में हर बारह वर्ष बाद प्रवेश करते हैं। प्रवेश की गति में हर बारह वर्ष में अंतर आता है। यह अंतर बढ़ते बढ़ते सात कुंभ बीत जाने पर एक वर्ष कम हो जाता है। इस वजह से आठवां कुंभ ग्यारहवें वर्ष में पड़ता है। वर्ष 1927 में हरिद्वार में सातवां कुंभ था। आठवां कुंभ 1939 में बारहवें वर्ष आने की बजाय 1938 में ग्यारहवें वर्ष आया।

 

 

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