भारत के मशूहर शायर राहत इंदौरी का आज दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया है। इससे पहले आज सुबह ही उन्होंने ट्विट करके खुद के कोरोना से संक्रमित होने की जानकारी दी थी।
राहत इंदौरी वो कलाकार थे जो अपने अंदाज में झूमकर इस कला को बखूबी अंजाम देते थे। डॉ. राहत इंदौरी के शेर हर लफ्ज़ के साथ मोहब्बत की नई शुरुआत करते थे, यही नहीं वो अपनी ग़ज़लों के ज़रिए हस्तक्षेप भी करते हैं। व्यवस्था को आइना भी दिखाते हैं। कोरोना से जंग के दौरान आज उनका निधन हो गया। लेकिन वो अपनी कला और शेर और शायरी में हमेशा जिंदा रहेंगे।
चलिए आपको उनकी कुछ खास शेरों से रूरू करवाते हैं
बहुत ग़ुरूर है दरिया को अपने होने पर
जो मेरी प्यास से उलझे तो धज्जियाँ उड़ जाएँ
नए किरदार आते जा रहे हैं
मगर नाटक पुराना चल रहा है
रोज़ तारों को नुमाइश में ख़लल पड़ता है
चाँद पागल है अँधेरे में निकल पड़ता है
मैं आख़िर कौन सा मौसम तुम्हारे नाम कर देता
यहाँ हर एक मौसम को गुज़र जाने की जल्दी थी
बीमार को मरज़ की दवा देनी चाहिए
मैं पीना चाहता हूँ पिला देनी चाहिए
बोतलें खोल कर तो पी बरसों
आज दिल खोल कर भी पी जाए
मैं ने अपनी ख़ुश्क आँखों से लहू छलका दिया
इक समुंदर कह रहा था मुझ को पानी चाहिए
शाख़ों से टूट जाएँ वो पत्ते नहीं हैं हम
आँधी से कोई कह दे कि औक़ात में रहे..
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राहत इंदौरी हमेशा अपनी इन शायरियों में जिंदा रहेंगे।