PNB घोटाले को लेकर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) पर निशाना साधते हुए सेंट्रल विजिलेंस कमिश्नर के वी चौधरी ने कहा कि जिस दौरान बैंक में घोटाला हुआ, उस दौरान सेंट्रल बैंक ने एक बार भी उसका ऑडिट नहीं किया था। चौधरी ने कहा कि घोटाले को रोकने के लिए मजबूत ऑडिटिंग सिस्टम की जरूरत है।
उल्लेखनीय है कि 13,000 करोड़ रुपये के पीएनबी फ्रॉड की जांच सीबीआई कर रही है। चौधरी ने कहा कि हालांकि आरबीआई के पास बैंकिंग सेक्टर के रेग्युलेशन का अधिकार है, लेकिन अगर कहीं कोई चूक होती है तो सीवीसी उसे देखेगा।
चौधरी ने कहा कि आरबीआई ने कहा है कि वह समय-समय पर ऑडिट करने की बजाय अब बैंकों का रिस्क बेस्ड ऑडिट करने लगा है। आरबीआई के पास रिस्क का पता लगाने के लिए कुछ मानक होने चाहिए। उसके आधार पर वह ऑडिटिंग कर सकता था। हालांकि, जिस अवधि में पीएनबी में यह फ्रॉड हुआ, उस दौरान रिजर्व बैंक ने उसकी एक बार भी ऑडिटिंग नहीं की। इससे पहले वित्त मंत्री अरुण जेटली ने फरवरी में फ्रॉड का पता लगाने में फेल रहने पर रेग्युलेटर्स की आलोचना की थी। उन्होंने कहा था कि जिस तरह से नेता जवाबदेह होते हैं, उसी तरह से रेग्युलेटर्स को भी जवाबदेह होना चाहिए।
चौधरी ने ध्यान दिलाया कि आरबीआई बतौर रेग्युलेटर सामान्य दिशा-निर्देश जारी करता है। विदेशी मुद्रा से जुड़े मामलों में भी वह निर्देश देता है। चौधरी ने कहा कि रिजर्व बैंक एक ब्रांच से दूसरी ब्रांच में जाकर जांच नहीं करने वाला। न ही वह एक बैंक के बाद दूसरे बैंक की पड़ताल करने वाला है, जिसकी उससे अपेक्षा की जाती है। यह काम बैंकों का है। चौधरी ने कहा कि ईमानदारी से कामकाज हो रहा है या नहीं, यह देखना बैंकों का काम है। उन्होंने कहा कि अगर कोई गड़बड़ी होती है तो आप इसके लिए सबको दोषी नहीं ठहरा सकते।
चौधरी ने कहा, ‘यह मामला प्रक्रिया से जुड़ा है। आरबीआई ने हर साल या दो साल में एक बार या तीन या चार साल में एक बार के बजाय रिस्क के आधार पर बैंकों की ऑडिटिंग का फैसला किया है।
चौधरी ने यह भी कहा कि सिर्फ पीएनबी में ही भ्रष्टाचार नहीं हुआ है। दूसरे बैंक भी बिल्कुल साफ-सुथरे नहीं हैं।