नई दिल्ली। बजट सत्र शुरु हो गया है। वैक्सीनेशन अभियान से देशवासियों की सेहर को मजबूत करने और कोरोना से लड़ने के लिए तैयार किया जा रहा है। देशवासियों की सेहर के साथ साथ देश की आर्थिक सेहत पर भी कोरोना का गहरा प्रभाव पड़ा है। देश की आर्थिक सेहर मजबूत करने के लिए इस बार का बजट वैक्सीन का काम करेगा। प्रधानमंत्री ने पिछले साल लॉकडाउन के दौरान आत्मनिर्भर भारत बनाने का आह्वान किया था। पीएम मोदी कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी इसकी चर्चा कर चुके हैं। तो जाहिर है कि इस बार के बजट में पीएम मोदी के आत्मनिर्भर भारत अभियान को मजबूती देने की कोशिश की जा सकती है। जानकारों का कहना है कि देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए आयात में तत्काल कमी लानी होगी और मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए बड़े पैमाने पर बजटीय आवंटन करना होगा। साथ ही घरेलू मैन्युफैक्चरर को अतिरिक्त सब्सिडी देनी होगी।
सरकार आयात को महंगा बना सकती है यानी बहुत सारी वस्तुओं पर आयात कर बढ़ाया जा सकता है। इसके अलावा सरकार कारोबारी सुगमता को बढ़ाने, निर्यात को प्रतिस्पर्धी बनाने, शिक्षा और कौशल विकास पर ज्यादा आवंटन, स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे के विकास पर जोर देकर देश को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में आगे बढ़ सकती है। जानकारों का कहना है कि आत्मनिर्भर भारत के लिए चार प्रमुख सेक्टर पर फोकस किया जा सकता है। फार्मा सेक्टर, मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर, डिफेंस सेक्टर, इलेक्ट्रिक व्हीकल।
बेरोजगारों को काफी उम्मीदें-
सरकार आम बजट पेश करने जा रही है. ऐसे में सरकार के बजट से लोगों को काफी उम्मीद है। कोरोना वायरस में लोगों को हुए नुकसान ने बजट को लेकर उनकी उम्मीदों को और बढ़ा दिया है। सबसे ज्यादा उम्मीदें बेरोजगार लोगों को हैं। उनकी सरकार की मांग है कि बजट में रोजगार के अवसर प्रदान करें। वहीं, लोगों का कहना है कि आम आदमी टैक्स में घिरा हुआ है एसे में वह टैक्स में रियायत चाहते हैं। गौरतबल है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण तीसरी बार बजट पेश करने जा रही है।
कोरोना संकट से नौकरियां चले जाने या सैलरी कटौती से मध्यम वर्ग काफी परेशान हुआ है। सरकार ने जो करीब 30 लाख करोड़ रुपये के राहत पैकेज पिछले साल दिए उसमें से मध्यम वर्ग को कुछ खास नहीं मिला। इसलिए अब मध्यम वर्ग को बजट से काफी उम्मीदें हैं।
पर्सनल इनकम टैक्स-
कई साल से यह मांग की जा रही है कि बेसिक टैक्स छूट सीमा 2.5 लाख से बढ़ाकर 5 लाख कर देनी चाहिए। सरकार ने साल 2019-20 के बजट में 2.5 से 5 लाख रुपये तक की आय वालों के लिए 12,500 की विशेष छूट देकर 5 लाख तक की आय को करमुक्त करने की कोशिश की है, लेकिन स्थायी रूप से 5 लाख रुपये तक की आय को कर मुक्त करने की मांग की जा रही है।
वैसे पिछले साल दो तरह की टैक्स व्यवस्था लागू की गई है, जिसके तहत अगर कोई चाहे तो डिडक्शन आदि का फायदा छोड़ सकता है, लेकिन जानकारों का कहना है कि 13 लाख रुपये से कम सालाना इनकम वालों को नई व्यवस्था अपनाने से नुकसान है, इसलिए ज्यादातर लोग पुराने टैक्स विकल्प को ही चुनेंगे। नई टैक्स व्यवस्था में में ज्यादातर डिडक्शन खत्म कर दिए गए हैं।
इस बार का बजत ऐसा होगा पिछले 100 साल में नहीं रहा होगा- वित्त मंत्री
इस साल अर्थव्यवस्था में क़रीब आठ फ़ीसद की गिरावट होने की उम्मीद है लेकिन अगले वित्त वर्ष में इसमें 11 फ़ीसद की तेज़ी की संभावना है। वित्त मंत्री ने कहा है कि महामारी से बर्बाद हुई अर्थव्यवस्था को फिर से उच्च विकास दर की पटरी पर लाने के लिए इस बार का बजट ऐसा होगा जैसा पिछले 100 सालों में नहीं रहा है। उनके इस बयान से कई तरह की अटकलबाज़ियाँ शुरू हो गई हैं। लेकिन भारत की नाज़ुक वित्तीय स्थिति को देखते हुए वित्त मंत्री को उन क्षेत्रों पर सावधानी से ध्यान देना होगा जिन क्षेत्रों में ख़र्चे बढ़े हैं।