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दुष्कर्मी को रामचरितमानस की चौपाई सुनाकर दी ताउम्र की सजा, जज ने कहा- दुराचारियों का संहार पाप नहीं

WhatsApp Image 2021 01 31 at 3.48.16 AM दुष्कर्मी को रामचरितमानस की चौपाई सुनाकर दी ताउम्र की सजा, जज ने कहा- दुराचारियों का संहार पाप नहीं

भिलाई। देश में नाबालिगों के साथ हो रहे यौन अपराध थमने का नाम नहीं ले रहे। निर्भया के दोषियों को मौत की सजा मिलने के बाद भी समाज ने कोई सीख नहीं ली है। आय दिन दुष्कर्म के मामले किसी न किसी अदालत में चलते ही रहते हैं। इसी बीच आपको बतादें कि छत्तीसगढ़ के भिलाई फास्ट ट्रैक कोर्ट की जज ने साढे चार साल की भांजी से अश्लील हरकत करने के दोषी कड़ी सजा सुनाई है।

 

 

देश में आए दिन किसी भी अदालत में रेप के दोषियों को सजा सुनाई जाती है। लेकिन यह छत्तीसगढ़ का मामला थोड़ा अलग है। दरअसल, अपर सत्र न्यायाधीश ममता भोजवानी ने फैसला सुनाते हुए रामचरितमानस की चौपाई का उल्लेख किया और कलयुगी मामा को मरते दम तक जेल की सजा सुनाई है। अर्थदंड की राशि जमा नहीं करने पर दो वर्ष की अतिरिक्त सजा भुगतने का आदेश भी दिया है।

 

 

न्यायाधीश ने बोली ये चौपाई-
अपर सत्र न्यायाधीश ममता भोजवानी ने फैसले में लिखा है, ‘अनुज वधु भगिनी सुत नारी। सुनु सठ कन्या सम ए चारी।। इन्हहि कृदृष्टि विलोकई जोई। ताहि बधे कछु पाप न होई।’  न्यायाधीश ने चौपाई का अर्थ भी समझाया। उन्होंने बताया कि उपरोक्त छंद रामचरित मानस के किष्किंधा कांड मेंं बाली वध के संदर्भ में है। इसका आशय है कि छोटे भाई की पत्नी, बहन, बहू और कन्या ये चारों समान हैं। इन पर बुरी नजर रखने वाले का संहार पाप नहीं है।

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