विपक्ष में पड़ी दरार ने किया खेल बर्बाद
विपक्ष में पड़ी दरार की शुरूआत तो बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पहले ही कर दी थी। जब कांग्रेस अध्यक्ष सोनियां गांधी ने राष्ट्रपति चुनाव को लेकर सभी विपक्षी दलों के साथ चाय पर चर्चा के लिए एक महत्वपूर्ण बैठक नई दिल्ली में आहुत की थी। इस बैठक में अखिलेश, माया और लालू के अलावा सभी दल शामिल हुए थे। लेकिन बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस बैठक से अपनी दूरी ही बनाई थी। चर्चाओं का बाजार तभी से गरम था कि नीतीश इस चुनाव में एनडीए के पाले में जा सकते हैं। लेकिन प्रत्याशी चयन ही नीतीश का मुख्य विषय होगा। एनडीए ने चूंकि इस वक्त विरोधी दलों में नीतीश कुमार एक गुट के नेताओं की धुरी बन चुके हैं।
इसलिए एनडीए ने नीतीश कुमार को लेकर एक बड़ा गेम खेलते हुए राष्ट्रपति के लिए अपना उम्मीदवार भी बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोविंद को चुन लिया। रामनाथ के चुने जाने पर सबसे पहले राजभवन जाकर नीतीश कुमार ने उन्हे बधाई दी। इसके बाद से ही अटकलें लगाई जा रही थी कि नीतीश जल्द ही अपने समर्थन का ऐलान कर सकते हैं। उधर कांग्रेस का ऐन वक्त पर विरोध करने के लिए मशहूर मुलायम सिंह यादव ने ऐन वक्त पर दांव मारते हुए पीएम मोदी के उत्तर प्रदेश आगमन पर हुए भोज में शामिल होते हुए अपनी मंशा जाहिर कर अपना समर्थन देने का ऐलान कर दिया।
इसके बाद अगले ही दिन जेडीयू ने बैठक कर कोविंद को समर्थन देने का फैसला कर लिया । नीतीश और मुलायम के फैसले के बाद वाईएसआर कांग्रेस और टीएसआर के अलावा बीजेडी-अन्नाद्रमुक ने भी एनडीए प्रत्याशी कोविंद के नाम पर मुहर लगा दी है। जिसके बाद अब विपक्ष के पास वोटों को लेकर बड़ा संकट खड़ा हो गया है। ऐसे में विपक्ष ने अगर कोई ऐसे दमदार चेहरा ना दिया तो और भी सहयोगी टूटकर जा सकते हैं।