नई दिल्ली। सवाल के जवाब देने पर मनमोहन वैद्य को इतनी सफाई देनी पड़ेगी शायद उन्होंने सोचा भी नहीं होगा। दरअसल जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल पर जब मनमोहन वैद्य से आरक्षण को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने जवाब में कहा कि मझे लगता है कि आरक्षण को जल्द से जल्द खत्म कर देना चाहिए। वैद्य का ये जवाब ऐसी चिंगारी लगाई कि अब विपक्ष भाजपा का घेराव करना शुरु कर दिया है।
कांग्रेस ने जहां इस मामले पर प्रधानमंत्री की माफी की मांग कर डाली तो वही लालू यादव ने कहा RSS पहले अपने घर में लागू 100% आरक्षण की करें समीक्षा करें। कोई गैर-स्वर्ण पिछड़ा/दलित व महिला आजतक संघ प्रमुख क्यों नहीं बने है? बात करते है। मोदी जी आपके RSS प्रवक्ता आरक्षण पर फिर अंट-शंट बके है। बिहार में रगड़-रगड़ के धोया,शायद कुछ धुलाई बाकी रह गई थी जो अब यूपी जमकर करेगा।
इस मुद्दे को चुनावी मुद्दा बनाने की मुहिम में जुटी कांग्रेस ने भी भाजपा पर जमकर निशाना साधा है। कांग्रेस के नेता और राजस्थान कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट ने मनमोहन वैद्य के बयान को विवादास्पद बताया है। साथ ही उन्होंने कहा कि भारत के संविधान में आरक्षण की व्यवस्था कमजोर तबके को मुख्य धारा से जोड़ने के लिए की गई है ताकि उनका पूर्ण विकास हो सके। साहिस्य के मंच से विरोधाभासी बयानों की अभिव्यक्ति ठीक नहीं हैं।
कांग्रेस के साथ ही बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने भी इस बयान की निंदा की है यहां तक की इस मुद्दे को चुनावी रण में भुनाने के लिए उन्होंने आज एक प्रेस कॉन्फ्रेंस भी बुलाई है। हालांकि इससे पहले उन्होंने कहा कि संविधान व देशहित में आरएसएस को अपनी गलत और जातिवाद मानसिकता बदलने की जरुरत है। इसके साथ ही उन्होंने कहा क्योंकि केंद्र और मोदी आरएसएस के इशारों पर ही काम करते है यही कारण है कि दलितों और पिछड़ों को मिलने वाले आरक्षण की संवैधानिक सुविधा को निष्क्रिय करने का लगातार प्रयास करती है।
हालांकि मनमोहन वैद्य के बयान के तूल पकड़ते ही उन्होंने तुरंत प्रेस कॉन्फ्रेंस करके इस मामले पर अपनी सफाई भी दी है। उन्होंने कहा, मैंने धर्म के आधार पर आरक्षण का विरोध किया था । मैंने कहा था कि जब तक समाज में भेदभाव है तब तक आरक्षण रहेगा।
जब इस पूरे मामले पर भारत खबर ने फोन पर कांग्रेस के नेता राशिद अलवी से बात की। उन्होनें बयान की कड़ी निंदा करते हुए कहा, ये आरएसएस और भाजपा का असली चेहरा है। आरएसएस पूरी तरह से देश और संविधान के खिलाफ रहने वाली संस्था है। इस तरह का बयान संविधान के खिलाफ दिया गया बयान है। ये दर्शाता है कि अब आरएसएस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ खड़ा हो रहा है क्योंकि बिहार विधानसभा चुनाव से पहले आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने इसी तरह का बयान दिया था और अब उनके प्रवक्ता उसी तरह का बयान दे रहे हैं। जिस तरह बिहार में भाजपा के साथ हुआ वही अब यूपी में भी होगा।
जब भारत खबर ने उनसे पूछा कि हर बार चुनाव से पहले आरक्षण का मुद्दा उठाया जाता है इसके पीछे क्या वजह हो सकती है ? इस पर उन्होंने कहा, दो बातें हो सकती है एक तो ये हो सकता है कि वो अपर कास्ट को यूनाइट करना चाहते है और उन्हें लगता है कि ओबीसी उनके बोट बैंक नहीं है और दूसरा ये कि वो मोदी जी को सबक सिखाना चाहते है।
भाजपा सांसद उदित राज ने भारत खबर से फोन पर बात करते हुए कहा, आरक्षण खत्म नहीं होना चाहिए क्योंकि उसी के लिए तो मैं लड़ाई लड़ रहा हूं। जब उनसे पूछा कि चुनाव से पहले हमेशा आरक्षण को खत्म करने की बात सामने आती है तो क्या ये वोट बैंक को खींचने की कोशिश है? इस पर उदित ने बात करते हुए कहा कि मैं ये नहीं जानता की इसे चुनावी मुद्दा बनाने की कोशश कर रहे हैं या नहीं। लेकिन इतना जरुर कह सकता हूं कि आरक्षण समाप्त नहीं होना चाहिए।
भाजपा आरएसएस की विचारधारा को अनुसरण करती है तो क्या इस बयान से भाजपा के नुकसान पहुंचेगा? इस पर उदित राज ने कहा मैं यहां पर पार्टी के प्रवक्ता के तौर पर नहीं बोल रहा हूं। लेकिन अनुसूचित जाति जन-जाति संगठनों के अखिल भारतीय परिसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष की ओर से बात कर रहा हूं। ये हमारी जीवन रेखा है इसे समाप्त नहीं किया जाना चाहिए।
(शिप्रा सक्सेना)