क्या थे मौजूदा वक्त के हालात
‘ऑपरेशन ब्लू स्टार’ को जानने के लिए सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि किन परिस्थियों में यह ऑपरेशन चलाया गया था।
1978 में शुरू हुई पंजाब हिंसा में सबसे पहले जिसका नाम सामने आया था वह थे सिख धर्म के प्रमुख प्रचारक जरनैल सिंह भिंडरांवाले। नाम सामने आने के बाद भिंडरांवाले ही चर्चा का विषय बनते चले गए। ऐसे में उनपर दंगों को और भड़काने का आरोप लगने लग गए। 1981 के बाद भिंडरांवाले का नाम हिंसा को बढ़ावा देने की श्रेणी में डाल दिया गया, हालांकि पुलिस पक्के सबूत ना होने के कारण भिंडरांवाले पर अधिक कार्रवाई नहीं कर पाई। जिसके बाद अपराधियों के हौसले में दिन-प्रतिदिन इजाफा होने लग गया और अप्रैल 1983 में पंजाब के पुलिस अपमहानिरीक्षक की दिन दहाड़े गोलियों से छन्नी कर हत्या कर दी गई, इस घटना से पुलिस का मनोबल लगातार गिरता ही चला गया।
‘ऑपरेशन ब्लू स्टार’ में इंदिरा गांधी का किरदार
पंजाब के इतिहास में हमेशा याद किया जाने वाला ‘ऑपरेशन ब्लू स्टार’ के हालात जून महीने की शुरूआत में ही बनना शूरू हो गए थे। जून के शुरूआती दिन में यानि एक जून को मंदिर की सुरक्षा में तैनात सीआरपीएफ के बीच गोलीबारी शुरू हो गई थी। इस खूनी जंग में हथियारों से लैस कोर्ट मार्शल की मार झेल चुके मेजर जनरल सुभोग सिहं, संत जरनैल सिंह समेत कई लड़ाकों ने मंदिर को चारों ओर से घेर कर रखा हुआ था। ऐसे में वहां पर राष्ट्रपति शासन को लागू करना पड़ गया था। पंजाब में हो रही इतनी बड़ी हिंसा को देखकर इंदरा गांधी की सरकार ने पंजाब की दरबारा सिंह सरकार को बर्खास्त कर राष्ट्रपति शासन को लागू कर दिया था। जिसके बाद स्थिति संभलने के बजाए और बिगड़ती चली गई।