नई दिल्ली। त्यौहारों की श्रृंखला में ऋतुओं के आगमन को लेकर भारत में त्यौहारों और पर्वों के मनाने की परम्परा है। शरद ऋतु के आगमन से जुड़ा पर्व शरद पूर्णिमा अपने चंद्रमा की ज्योत्सना और आभा के लिए तो जाना जाता है इसके साथ ही इस रात का चंद्रमा 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है। इस कारण इस दिन का महत्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है। क्योंकि इस दिन ही चंद्रमा के पास अपनी सभी कलाएं उसके साथ होती हैं। वैसे तो हर पूर्णिमा को चंद्रमा अपने विशाल स्वरूप में होता है। लेकिन इस दिन उसका स्वरूप पहले से विशाल होने के साथ उसकी किरणों में अनोखी चमक और ऊर्जा होती है। जिसमें कई औषधिए गुण विद्यमान होते हैं।
इस बार यह शरद पूर्णिमा पांच अक्टूबर गुरूवार के दिन पड़ रही है। इस दिन चंद्रमा के साथ लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि इस दिन ही महा लक्ष्मी अपने वाहन उल्लू पर सवार होकर धरती पर आती हैं और दीपावली तक वास करती हैं। मान्यता है कि इसदिन रात्रि में जो भक्त जागकर माता की आराधना करता है मां उस भक्त पर विशेष कृपा करती हैं।
इस दिन धन-धान्य से परिपूर्ण रहना चाहते हैं तो चंद्रमा के साथ माता लक्ष्मी का पूजन और अर्चन करना लाभदायक होता है। माता की आराधना से जहां आपके घर में धन की आमद बढ़ेगी वहीं आपके बिगड़े काम भी बनने लगेंगे। इस दिन चंद्रमा के साथ माता भी आरधना करने के लिए चांदी के बर्तन में दूध और मिश्री का भोग लगाए इसके बाद रात्रि में माता की आराधना करने के लिए पुत्रपौत्रं धनं धान्यं हस्त्यश्वादिगवेरथम् प्रजानां भवसि माता आयुष्मन्तं करोतु मे मंत्र का जाप करें।